AI-Based Software Gajraj : रेलवे ट्रैक पर अक्सर जानवरों के एक्सीडेंट के मामले सामने आते हैं. वनीय क्षेत्रों में जंगल से हाथायों का झुंड बाहर निकल कर आ जाता है और ये रेलवे ट्रैक पर पहुंच जाते हैं. पटरी पर आने के चलते कई बार हाथियों का एक्सीडेंट हो जाता है और उनकी मृत्यु हो जाती है. इस तरह के हादसे को रोकने के लिए भारतीय रेलवे ने अहम कदम उठाया है. दरअसल अब रेलवे ने आर्टिफिशियल बेस्ड सॉफ्टवेयर गजराज इंस्टॉल करने की पहल शुरू की है.
जानकारी के अनुसार गजराज सॉफ्टवेयर कवच प्रणाली की तरह काम करता है. यह रेलवे ट्रैक पर हाथियों की गतिविधि के बारे में ट्रेन ड्राइवर को बहुत पहले सूचना भेज देगा. जिससे ट्रेन की चपेट में हाथियों के आने से रोका जा सकता है. रेल मंत्री अश्विनी ने बताया कि ट्रेन सुरक्षा प्रणाली कवच के साथ ही वन क्षेत्रों में हाथियों को ट्रेन से कटने से बचाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा.
एआई बेस्ड गजराज सॉफ्टवेयर हाथियों की सुरक्षा में अहम रोल निभाएगा. रेल मंत्री ने कहा कि यह तकनीक ओएफसी लाइन में सेंसेर की मदद से काम करेगी और 200 मीटर पहले ही हाथियों की पदचाप की तरंगों की पहचान करके इंजन में लोकोपायलट को अलर्ट करेगी. रेल मंत्री ने उस टेक्नोलॉजी का नाम गजराज रखने की बात कही है. उन्होंने बताया कि गजराज सॉफ्टवेयर को असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, केरल, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और उत्तराखंड में 700 किलोमीटर से अधिक रेलवे ट्रैक पर लगाया जाएगा.
रेल मंत्री ने कहा कि गजराज सॉफ्टवेयर कई उपकरणों की अकीकृत तकनीक है. इसके तहत स्टेशन कवच, कवच टावर्स, लोको कवच, वायरलेस लोको टावर, ऑप्टिकल फाइबर केबल, ट्रैक उपकरण और सिगनल कवच प्रणाली के अंदर आते हैं. जानकारी के अनुसार अगले 7 महीने में गजराज तकनीक लगाने का काम पूरा हो जाएगा.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश भारत में प्रत्येक वर्ष ट्रेन की चपेट में आकर औसतन 20 हाथियों की मौत हो जाती है. पश्चिम बंगाल में करीब 2 फीसदी हाथियों की आबादी रह गई है, जिसका कारण रेल एक्सीडेंट हैं. वहीं साल 2019-21 तक भारत में रेलवे ट्रैक पर 45 हाथी मारे गए, इनमें अधितक मौतें पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के तहत हुई है. इनमें पूर्वोत्तर, बिहार और उत्तर पश्चिम बंगाल के कुछ जिले शामिल हैं. First Updated : Thursday, 30 November 2023