Indian Army: भारतीय सेना अब आतंकवाद के खिलाफ एक नई तकनीक का सहारा ले रही है. हाल ही में भारतीय सेना ने छोटे, हल्के और शक्तिशाली नैनो ड्रोन 'ब्लैक हॉर्नेट' का उपयोग करना शुरू कर दिया है. ये ड्रोन इजरायली तकनीक से प्रेरित है. ये आतंकवाद विरोधी अभियानों में सेना को गुप्त जानकारी इकट्ठा करने और दुश्मनों को ट्रैक करने में मदद करेंगे.
ब्लैक हॉर्नेट नाम का यह ड्रोन हथेली के आकार का है. इसका वजन में केवल 33 ग्राम का होता है. भारतीय सेना की राष्ट्रीय राइफल्स और विशेष बल इसका उपयोग जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में कर रहे हैं. इसकी मदद से सेना को आतंकियों के ठिकानों की जानकारी, बंधक बचाव ऑपरेशनों में सहायता, और सटीक लक्ष्यों की पहचान करने में बड़ी आसानी होगी.
यह ड्रोन नॉर्वे द्वारा निर्मित है और एक छोटे से हेलीकॉप्टर के आकार का दिखता है. इसके ट्विन रोटर और एंटीना इसे नियंत्रित करने में मदद करते हैं, और यह आसानी से खिड़की या दरवाजे से अंदर घुस सकता है. इसकी रेंज लगभग दो किलोमीटर है. यह उच्च गुणवत्ता के साथ लाइव HD फीड और तस्वीरें भेजता है, जिससे सैनिकों को दुश्मन की सटीक जानकारी मिलती है.
ब्लैक हॉर्नेट ड्रोन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह अंदर जाकर रियल टाइम फीड भेजता है. यह बंधक बचाव और आतंकवाद विरोधी अभियानों में अत्यधिक कारगर साबित हो सकता है. ड्रोन की यह क्षमता सुनिश्चित करती है कि सेना को घर के अंदर मौजूद लोगों की पहचान आसानी से हो सके, जिससे किसी प्रकार की जनहानि से बचा जा सके.
भारतीय सेना के ब्लैक हॉर्नेट का डिजाइन और उपयोग इजरायल की माइक्रो ड्रोन तकनीक से प्रेरित है. इजरायल ने इसी तरह के कीट आकार के ड्रोन का उपयोग अपने दुश्मनों को सटीक तरीके से ट्रैक और समाप्त करने के लिए किया है. अब भारतीय सेना भी इस प्रकार की तकनीक को अपनाकर आतंकियों के खात्मे के लिए एक कदम आगे बढ़ गई है.
भारतीय सेना के विशेष बल और कमांडो इस नैनो ड्रोन का इस्तेमाल कर खुफिया जानकारी जुटाने के अलावा बंधक बचाव जैसे जोखिम भरे अभियानों में भी कर सकते हैं. यह सुनिश्चित करता है कि केवल वे लोग निशाने पर आएं जो वास्तव में आतंकी हैं. ब्लैक हॉर्नेट ड्रोन की ये नई तकनीक भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण टूल साबित हो रही है, जो भविष्य के अभियानों में अत्यधिक कारगर साबित होगी. First Updated : Monday, 11 November 2024