जीएसटीएन पोर्टल की गड़बड़ी से जीएसटी रिटर्न दाखिल करने में हो रही समस्या, करदाता परेशान

जीएसटीएन पोर्टल की गड़बड़ी के कारण जीएसटी रिटर्न दाखिल करने में देरी हो रही है. इसके लिए समय सीमा को बढ़ाए जाने की संभावना जताई जा रही है. ऐसे में करदाता और पेशेवर इस मुद्दे के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग कर रहे हैं.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

भारत में कारोबारियों को जीएसटीआर-1 रिटर्न दाखिल करने में संभावित देरी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि जीएसटी नेटवर्क (GSTN) पोर्टल तकनीकी समस्याओं का सामना कर रहा है. रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि नजदीक आ रही है. ऐसे में करदाता और पेशेवर इस मुद्दे के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग कर रहे हैं.

10 जनवरी को जीएसटीएन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर जानकारी दी कि पोर्टल में तकनीकी समस्याएं आ रही है. इसकी मरम्मत की जा रही है. उन्होंने यह भी बताया कि पोर्टल दोपहर 12 बजे तक फिर से चालू हो जाएगा और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) को घटना की रिपोर्ट भेजी जा रही है, ताकि दाखिल करने की तारीख को बढ़ाने पर विचार किया जा सके.

 

करदाताओं को असुविधा

इन तकनीकी दिक्कतों के कारण जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया में गंभीर व्यवधान आ रहे हैं. खासकर जीएसटीआर-1 रिटर्न दाखिल करना, पुराने डेटा तक पहुंच बनाना और नोटिस का जवाब देना जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं प्रभावित हो रही हैं. 10 जनवरी 2025 तक पोर्टल के फिर से काम करने की उम्मीद जताई गई है, लेकिन इन व्यवधानों ने करदाताओं को असुविधा में डाल दिया है।

कई कर विशेषज्ञों ने इस प्रकार के व्यवधानों से बचने के लिए बैकअप योजनाओं की आवश्यकता पर जोर दिया है. हालांकि, सीबीआईसी ने अभी तक जीएसटीआर-1 दाखिल करने की समयसीमा बढ़ाने के बारे में कोई औपचारिक सूचना नहीं दी है, लेकिन जीएसटीएन ने सीबीआईसी को एक रिपोर्ट भेजी है, जिसमें समयसीमा के विस्तार का अनुरोध किया गया है. उद्योग विशेषज्ञों का सुझाव है कि समय सीमा को 13 जनवरी, 2025 तक बढ़ाया जाए, क्योंकि 11 जनवरी शनिवार को पड़ता है, जो कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए गैर-कार्य दिवस है.

नकदी प्रवाह पर पड़ेगा असर 

जीएसटीआर-1 की समय पर दाखिल न होने से कारोबार पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, क्योंकि यह जीएसटीआर-2 बी तैयार करने के लिए जरूरी होता है. जो खरीदारों को इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने की सुविधा प्रदान करता है. अगर जीएसटीआर-1 में देरी होती है, तो जीएसटीआर-2 बी की फाइलिंग में भी देरी हो सकती है, जिससे खरीदार समय पर ITC दावों से वंचित रह सकते हैं. इसका असर कंपनियों के नकदी प्रवाह पर पड़ेगा, क्योंकि उन्हें बाद की अवधि में ITC जमा होने तक जीएसटी की देनदारियों का भुगतान नकद में करना पड़ेगा.

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10 January 2025, 05:42 PM IST

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