जमीन में दबे सोने का कैसे चलता है पता? जानें किस वैज्ञानिक करते किस तकनीक का इस्तेमाल

Gold detection technology: सोना सिर्फ आभूषणों तक सीमित नहीं है. यह किसी देश की आर्थिक मजबूती का भी आधार है. यही वजह है कि वैज्ञानिक लगातार धरती के भीतर छिपे सोने की खोज में लगे रहते हैं. लेकिन सवाल यह है कि जमीन में दबे इस कीमती खजाने का पता कैसे चलता है? आइए जानते हैं वो खास तकनीकें जिनसे इसका रहस्य खोला जाता है.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Gold detection technology: सोना सिर्फ आभूषणों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह किसी भी देश की आर्थिक मजबूती का भी अहम पैमाना है. यही वजह है कि दुनिया के लगभग सभी देश अपने गोल्ड रिजर्व को बढ़ाने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं. कई देश तो नई सोने की खदानों की खोज में जुटे हुए हैं, ताकि अपने संसाधनों को और भी समृद्ध किया जा सके.

ऐसे में अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि वैज्ञानिक आखिर जमीन के भीतर दबे सोने का पता कैसे लगाते हैं? क्या कोई मशीन है जो ये बता सकती है कि किस गहराई पर कितना सोना छिपा है? इस रहस्य से पर्दा उठाने के लिए वैज्ञानिक अत्याधुनिक तकनीकों का सहारा लेते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर कैसे जमीन के अंदर छिपे खजाने को खोजा जाता है.

ग्राउंड पेनीट्रेटिंग रडार (GPR) तकनीक

भू-वैज्ञानिकों द्वारा सबसे पहले इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक का नाम है ग्राउंड पेनीट्रेटिंग रडार यानी GPR. इस तकनीक की मदद से मिट्टी की विभिन्न परतों का विश्लेषण किया जाता है. GPR से भेजे गए संकेत जब मिट्टी के नीचे की परतों से टकराते हैं तो उनकी प्रतिक्रिया से यह संकेत मिलता है कि वहां कोई धातु मौजूद है या नहीं.

वैज्ञानिक इन संकेतों का गहराई से अध्ययन करते हैं और अनुमान लगाते हैं कि जो धातु मिली है वह सोना है या कुछ और. जब उन्हें यह पूरी तरह यकीन हो जाता है कि नीचे की धातु सोना ही है, तभी खुदाई की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है.

वीएलएफ तकनीक

दूसरी प्रमुख तकनीक है वीएलएफ यानी वेरी लो फ्रीक्वेंसी तकनीक. इसमें भू-वैज्ञानिक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों का इस्तेमाल करते हैं, जिन्हें जमीन के भीतर भेजा जाता है. जब ये तरंगें किसी धातु से टकराकर वापस लौटती हैं, तो उनकी गति, ध्वनि और दिशा से यह तय किया जाता है कि वह धातु कौन सी है.

सोना अन्य धातुओं से अलग तरीके से प्रतिक्रिया देता है, जिससे यह अनुमान लगाना आसान हो जाता है कि जमीन के नीचे मौजूद तत्व सोना है या कोई और धातु. यह तकनीक बड़ी बारीकी से काम करती है और वैज्ञानिकों को ज्यादा सटीक जानकारी देती है.

खुदाई से पहले की जाती है गहन तैयारी

एक बार यह पक्का हो जाए कि जमीन के नीचे सोना दबा है, तो फिर खुदाई की प्रक्रिया शुरू होती है. इसके लिए इंजीनियरिंग की जटिल प्रक्रियाओं को अपनाया जाता है. ड्रिलिंग मशीनों से चट्टानों को भेदा जाता है और जरूरत पड़ने पर ब्लास्टिंग भी की जाती है.

हर चट्टान से नहीं निकलता ज्यादा सोना

बहुत से लोगों को यह भ्रम होता है कि खदान में बड़ी मात्रा में सोना मौजूद होता है, लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है. एक बड़ी चट्टान से सिर्फ कुछ ग्राम सोना ही निकलता है और वो भी कई जटिल प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद. सोना अक्सर स्वर्ण अयस्क (Gold Ore) के रूप में पाया जाता है, जिसे प्रसंस्करण के बाद शुद्ध सोने में बदला जाता है.

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05 April 2025, 12:23 PM IST

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