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Saturday, 24 September 2022 राजस्थान: राज्य मंत्री के निर्देश पर दिल्ली, नागपुर से झालावाड़ पहुंचे अधिकारी झालावाड़। जिले की मुख्य फसल संतरा उत्पादन में कमी , संतरा बगीचों की निरन्तर हो रही कटाई जैसी समस्याओं के अवलोकन के लिए केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के निर्देश पर दिल्ली व नागपुर के कृषि वैज्ञानिक एवं तकनीकी दल, अफसर झालावाड़ दो दिवसीय दौरे पर झालावाड़ पहुंचे और जिले के संतरा किसानों से सुझाव लिए बगीचे देखे और अन्य आवश्यकताओं और कामकाज की समीक्षा कर रिपोर्ट तैयार की जिसे दिल्ली उच्च अधिकारियों को सौंपेंगे। असल में मंत्री झालावाड़ जिले के दौरे पर गत दिनों आए थे। यहां कुछ किसानों ने संतरा उत्पादन को लेकर अपनी समस्या बताई थी। *कृषि विज्ञान केन्द्र, झालावाड़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, डाॅ. अर्जुन कुमार वर्मा ने बताया की झालावाड़ जिले में दल ने जिले के पिडावा, रायपुर, सुनेल, झालरापाटन, असनावर सहित संतरा उत्पादक क्षेत्रों में निरीक्षण किया इस दौरान किसानों से संतरे के बगीचे को लेकर उनकी समस्याओं को चिन्हित किया।भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली एवं केन्द्रीय नींबूवर्गीय फल अनुसंधान संस्थान(बागवानी विज्ञान),सहायक महानिदेशक डॉक्टर विक्रमादित्य पाण्डेय, नागपुर, महाराष्ट्र के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. ए. के. श्रीवास्तव (मृदा विज्ञान), डाॅ. ए. के. दास (पौध व्याधि), डाॅ. जी. टी. बेहेरे (कीट विज्ञान) एवं डाॅ. डी. टी. मेश्राम (जल प्रबंधन) का दल झालावाड़ पहुंचा। दल ने किसानों के बगीचों का अवलोकन और इनके बगीचों पर संतरे की कम उत्पादकता के कारणों का निरीक्षण किया एवं पौधों तथा मिट्टी के परीक्षण के लिए नमूने लिए। *दल के निरीक्षण में यह आए सुझाव *दल के सदस्यों ने बताया कि झालावाड़ में संतरा की गुणवत्ता को लेकर प्रयोगशाला की आवश्यकता है। साथ ही स्वस्थ और अच्छे पौधे के लिए पौधशाला स्थापना, उत्पादकों को बागवानी के लिए समुचित प्रशिक्षण एवं तकनीकी प्रचार प्रसार में गति लाने, तुड़ाई के बाद उपयुक्त रखरखाव, भंडारण, परिवहन एवं अन्य आवश्यक ढांचागत विकास तथा नीति समर्थन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता सामने आई। इस दौरान कीटनाशक के समय ड्रोन तकनीक को भी अपनाने की सलाह दी गई। *झालावाड़ के किसानों को देंगे दिल्ली में सलाह *झालावाड़ दौरे पर आए तकनीकी दल ने बताया कि झालावाड़ के किसानों को संतरा खेती को व्यवसायिक तौर पर खेती करने की आवश्यकता है। कृषि आजीविका का साधन ना होकर व्यवसाई के रूप में अपनाए तभी किसान को आर्थिक राहत मिलेगी। यहां के किसानों को दिल्ली बुलाकर तकनीकी ज्ञान दिया जाएगा। वही दिल्ली से वैज्ञानिक झालावाड़ आकर किसानों से बात करेंगे।

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