बचाई जा सकती थी 38 गौवंशों की जान, पुलिस प्रशासन क्यों रहा अनजान

थाना इंदिरापुरम क्षेत्र के कानावनी गांव में भयंकर आग लगी और 40 गोवंश तड़प तड़पते रहे और जिंदा ही जलकर परलोक सिधार गए।

Janbhawana Times
Janbhawana Times

थाना इंदिरापुरम क्षेत्र के कानावनी गांव में भयंकर आग लगी और 40 गोवंश तड़प तड़पते रहे और जिंदा ही जलकर परलोक सिधार गए। जिंदा जलने की पीड़ा क्या होती है यह तो आपको उस समय मालूम चल जाता है जब भूलवश कभी छोटी सी आग आपके शरीर को कोई छू जाती है।

मान लीजिए किचन में कुछ काम करते हुए आपकी उंगली अचानक आग के संपर्क में आ जाए तब आप बिलबिला जाते हैं तड़प जाते हैं आंख से आंसू आते हैं और तुरंत ही ठंडा पानी जले हुए अंग पर डालते हैं अब सोचिए अब महसूस कीजिए उस तड़प को उस दर्द को, उस जलन को,जब गौ माता चीख रही होंगी, अपनी जबान में चिल्ला रही होंगी कि कोई तो बचा लो कोई तो आ जाओ लेकिन अफसोस भयंकर अग्नि ने किसी को कोई मौका नहीं दिया और देखते ही देखते सब कुछ खत्म हो गया।

बताया जा रहा है कि गौशाला के पास ना सिर्फ झुग्गी झोपड़ी थी बल्कि झुग्गी झोपडियों में गत्ते पिन्नी के अवैध गोदाम भी थे। अब हम आपको बताते हैं कि अवैध गोदाम का खेल क्या होता है। दरअसल गाजियाबाद में स्क्रैप का एक बहुत बड़ा व्यापारी वर्ग है जो कि लोहा टीन अल्मुनियम और धातुओं के अलावा गत्ते एवम पिन्नी का भी बड़ा खरीदार है। झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोग अपने बच्चों के साथ मिलकर गत्ता और पन्नी बीनने का काम करते हैं फिर उन्हें लाकर एक जगह इकट्ठा कर दिया जाता है।

फिर किसी बड़े व्यापारी के टच में आकर गाड़ी भर कर वहां से रवाना कर दिया जाता है लेकिन जब तक गाड़ी भर सामान नहीं मिलता तब तक कबाड़ा इकट्ठा ही करना होता है। अवैध रूप से गोदाम में ना तो सुरक्षा के कोई प्रबंध होते हैं ना ही किसी तरह की कोई सतर्कता होती है। बताया जाता है कि स्थानीय पुलिस के निचले क्रम के पुलिसकर्मी आकर अपना हिस्सा ज़रूर ले जाते हैं जो कि प्रतिमाह फिक्स रकम के रूप में दिया जाता है।

गौशाला संचालक का आरोप है कि उसने कई बार इस संबंध में नगर निगम और स्थानीय पुलिस को बताया था लेकिन किसी ने गौर नहीं किया काश किसी ने गौर किया होता तो इतना दर्दनाक हादसा नहीं हुआ होता।

calender
12 April 2022, 06:27 PM IST

जरुरी ख़बरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो