सुपरटेक पर सुप्रीम कोर्ट ने कसा शिकंजा, 31 मार्च तक बायर्स को वापस करना होगा पैसा
सुपरटेक पर सुप्रीम कोर्ट ने कसा शिकंजा, 31 मार्च तक बायर्स को वापस करना होगा पैसा
सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक मामले को लेकर प्राधिकरण के अधिकारियों और सुपरटेक बिल्डर को कई आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए। वहीं, प्राधिकरण की तरफ से सुपरटेक मामले को लेकर अपनी स्टेटस रिपोर्ट भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखी गयी। प्राधिकरण ने सुपरटेक एमरेल्ड ट्विन्स टावर मामले में सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि सुपरटेक के दोनों ट्विन्स टावरों को ढहाने का काम काफी तेजी के साथ शुरू हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्राधिकरण के अधिकारियों ने सुपरटेक मामले को लेकर एक स्टेटस रिपोर्ट भी रखी।
17 मई को सुप्रीम कोर्ट में होगी अगली सुनवाई
प्राधिकरण के अधिकारियों ने जानकारी दी कि 22 मई तक टावरों को गिराने का काम लगभग पूरा कर लिया जाएगा। साथ ही ध्वस्तीकरण के मलबे को 22 अगस्त तक हटा दिया जाएगा। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्राधिकरण ने साक्ष्य के तौर पर फोटो और वीडियो भी रखे थे। इस मामले सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 17 मई को होगी। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने प्राधिकरण के अधिकारियों को नई स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष रखने के निर्देश जारी किए हैं।
31 मार्च तक वापस करें बायर्स का पैसा
सुपरटेक के दोनों टावरों में 950 से ज्यादा फ्लैट्स बनाए जाने थे। हाई कोर्ट की ओर से 2014 में रोक लगाने के पहले 32 फ्लोर का कंस्ट्रक्शन पूरा हो चुका था। 633 लोगों ने उस समय सुपरटेक के दोनों ट्विन्स टावरों में अपने फ्लैट भी बुक कर दिए थे। जिसमें से 248 लोगों को रिफंड मिल चुका है। 133 लोग दूसरे प्रोजेक्ट्स में शिफ्ट हो चुके हैं। लेकिन, 252 लोगों ने अब भी सुपरटेक के दोनों ट्विन्स टावरों में अपना निवेश कर रखा है। इन 252 निवेशकों को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ करीब 100 करोड़ रूपए वापस करने होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक बिल्डर को यह रकम लौटाने के लिए 31 मार्च तक का समय दिया है।
अवैध रूप से बिल्डर ने बनाए थे दोनों ट्विन्स टावर
सुपरटेक बिल्डर ने सेक्टर 93ए में दोनों ट्विन्स टावरों का निर्माण अवैध रूप से किया था। जिनके खिलाफ हाउसिंग सोसायटी के निवासियों ने पहले प्राधिकरण और फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दोनों अवैध ट्विन्स टावरों पर 2014 में स्टे लगा दिया था। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिल्डर ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। कई साल लंबी चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2021 में हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराया था और दोनों अवैध ट्विन्स टावरों को गिराने का आदेश जारी किया था।
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