कौन हैं बृजभूषण शरण सिंह? ‘कुश्ती’ का कौन सा दांव पड़ गया उल्टा?

कौन हैं बृजभूषण शरण सिंह? ‘कुश्ती’ का कौन सा दांव पड़ गया उल्टा?

भारत के नामी-गिरामी पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। तकरीबन 30 इंडियन रेसलर्स इस प्रदर्शन में शामिल हैं। इन पहलवानों का आरोप है कि कुश्ती संघ उनका शोषण कर रहा है। संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह मनमाने तरीके से संघ को चला रहे हैं। पहलवानों के साथ उनके कोच नहीं भेजे जाते और विरोध करने पर धमकाया जाता है। पहलवान विनेश फोगाट का आरोप है कि बृजभूषण सिंह ने कई लड़कियों का यौन शोषण किया है। कोच खिलाड़ियों के अलावा महिला कोच का भी शोषण करते हैं। आइए जानते हैं कि बृजभूषण शरण सिंह कौन हैं, जो 11 साल से भारतीय कुश्ती महासंघ की कुर्सी पर कब्जा जमाए हुए बैठे हैं। 

बृजभूषण शरण सिंह 2011 से भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं। वे फरवरी 2019 में लगातार तीसरी बार डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष चुने गए थे। इसके अलावा बृजभूषण यूपी के गोंडा जिले की कैसरगंज सीट से बीजेपी सांसद भी हैं। बृजभूषण लगातार छह बार लोकसभा चुनाव जीत कर सांसद भी चुने जा चुके हैं।  बृजभूषण ने पहली बार 1991 में चुनाव लड़ा था और आनंद सिंह को रिकॉर्ड 1.13 लाख वोट से हराया था। बलरामपुर में बीजेपी को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे में बृजभूषण को इस सीट से टिकट दिया गया और उन्होंने यहां से जीत दर्ज की। इसके बाद गोंडा, बलरामपुर, अयोध्या समेत कई जिलों में उनका कद और रूतबा दोनों बढ़ता गया। 1999 के बाद से वे कभी भी चुनाव नहीं हारे। हालांकि, अलग-अलग चुनाव में उनकी सीटें जरूर बदलती रहीं लेकिन नतीजा हर बार उनके पक्ष में ही रहा। कुछ मतभेदों के चलते उन्होंने पार्टी छोड़ दी। 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर कैसरगंज से जीत दर्ज की। हालांकि, 2014 चुनाव से पहले वो फिर बीजेपी में शामिल हो गए। इसके बाद 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में कैसरगंज सीट से बीजेपी के टिकट से जीत दर्ज की। बृजभूषण के बेटे प्रतीक भूषण भी राजनीति में हैं। प्रतीक भूषण गोंडा से बीजेपी के एमएलए हैं।

8 जनवरी, 1956 गोंडा के विश्नोहरपुर में जन्में बृजभूषण शरण सिंह कुश्ती और पहलवानी के शौकीन हैं। उन्होंने 1979 में कॉलेज से छात्र नेता के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। यहां उन्होंने रिकॉर्ड वोटों से छात्रसंघ का चुनाव जीता था। इसके बाद 1980 के दौर युवा नेता के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई और 1988 के दौर में पहली बार बीजेपी से जुड़े। यहां हिंदूवादी नेता रूप में उन्होंने अपनी छवि बनाई और 1991 में रिकॉर्ड मतों के साथ चुनाव जीता। हालांकि कुछ समय बाद टाडा से जुड़े मामले में वे जेल चले गए और उनकी राजनीति कुछ कमजोर पड़ी लेकिन वापसी के बाद उन्होंने लगातार चुनाव जीते।

बृजभूषण शरण सिंह का नाता बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे से भी जुड़ा है। वे उन 40 आरोपियों में से एक थे जिन्हें 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने के लिए जिम्मेदार कहा गया था। हालांकि, लंबे समय तक कानूनी लड़ाई के बाद 30 सितंबर 2020 को कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया। 

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