राशन की दुकान, आपके लिए सुना-सुनाया नाम। कई लोग इस नाम को बचपन से सुनते आए हैं। सभी के राशन कार्ड बनते हैं और जिनके राशन कार्ड हैं सरकार उन्हें रियायती दरों पर अनाज जैसे गेहूं, चावल उपलब्ध कराती है। शक्कर भी राशन की दुकानों पर मिलती है। पहले तो मिट्टी के तेल भी राशन की दुकान पर ही मिला करती थी। यानी राशन की दुकान हमारे जीवन में एक अहम रोल अदा करती है लेकिन जब राशन लेने की बात आती है तो पसीन छूटने लगते हैं क्योंकि राशन की दुकानों पर लंबी-लंबी लाइनों से हर कोई घबरा जाता है। राशन लेने के लिए काफी धैर्य रखना पड़ता है। कई बार तो जब तक आपकी बारी आती है राशन खत्म हो जाता है और आपको अगले दिन आने कहा जाता है। राशन की सरकारी दुकानों की छवि हमेशा से ही ऐसी रही है जहां दुकान के बाहर भीड़ शोर-शराबा अव्यवस्था देखने को मिलती है। कई बार राशन की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठते हैं लेकिन अब ये सारा काम बायोमेट्रिक स्कैन से होने लगा है। यानी अब आपकी सुविधा के लिए ग्रेन एटीएम आ चुकी है। यूपी की राजधानी लखनऊ में सरकारी राशन की दुकान पर गेहूं और चावल देने के लिए एक आधुनिकतम मशीन का इस्तेमाल हो रहा है जिसपर इनदिनों खूब चर्चा हो रही है।
लखनऊ के जानकीपुरम इलाके में एक राशन की दुकान चर्चा का विषय बन गई है, क्योंकि इस राशन की दुकान के आगे ना लाइन रहती है ना शोर-शराबा होता है। क्योंकि इस राशन की दुकान में राशन देने के लिए एटीएम मशीन का प्रयोग किया जा रहा है। ग्रेन एटीएम मशीन लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। जो काम पहले मैनुअली हो रहा था, समय ज्यादा लग रहा था वही काम अब एटीएम मशीन कम समय में कर रही है और वो भी बिना किसी झिक झिक के। अब ये जानना जरूरी है कि ग्रेन एटीएम से कैसे गेहूं और चावल लें। राशन लेने के लिए सबसे पहले राशन कार्ड का नंबर बताना पड़ता है। जिसके बाद बायोमेट्रिक सिग्नेचर लगता है और फिर मशीन पर शख्स के लिए जितना अनाज निर्धारित है वो मशीन पर लिखकर आ जाता है। इसके बाद जैसे एटीएम से पैसे निकलते है उसी तरह मशीन से तय की गई मात्रा के अनुसार अनाज निकलता है।
तकनीक के इस युग में ऐसे बदलाव से राशन कार्ड धारक खुश हैं। राशन दुकानों की तस्वीर बदली हुई दिख रही है। लंबी-लंबी कतारें गायब हैं। शोर-शराबा गायब हैं। अब लोगों को राशन की गुणवत्ता भी अच्छी दिख रही है और यह भी डर नहीं है दुकानदार कुछ गड़बड़ करेगा। बता दें कि ये एटीएम पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लगाई गई है। जानकारी के मुताबिक पूरे प्रदेश में अब तक तीन मशीनें लगाई गई हैं। इस मशीन को लगाने में 12 से 15 लाख रुपए तक का खर्च आता है।
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