Arif Saras News: सारस और आरिफ की ये दिलचस्प कहानी, जीवन में एक बार होता है प्यार
उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले का रहने वाला एक व्यक्ति जिसका नाम आरिफ होता है। जब आरिफ खेत से गुजर रहा था तब उसकी मुलकात सारस से हुई जो बिल्कुल घायल अवस्था में था।
Arif Saras News: सोशल मीडिया पर आए दिन कुछ न कुछ वायरल होता ही रहता है। लेकिन आज हम आप को एक ऐसी अनोखी कहानी के बारे में बताने जा रहे है, जिसे पढ़कर आप हैरान हो जाएंगे। सारस और आरिफ की दोस्ती पर बहुत चर्चा हो रही और इन दोनों की कहानी बहुत ही रोचक है।
उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले का रहने वाला एक व्यक्ति जिसका नाम आरिफ होता है। जब आरिफ खेत से गुजर रहा था तब उसकी मुलकात सारस से हुई जो बिल्कुल घायल अवस्था में था। उसने उसको अपने साथ घर ले गया और उसका इलाज किया। जब वह ठीक हो गया तो आरिफ और सारस की दोस्ती हो गई। वो दोनों एक दूसरे से काफी ज्यादा प्यार करने लगे। आरिफ जहां भी जाता सारस उसके पीछे-पीछे जाता था। चाहे वो खेत हो या बाजार यदि आरिफ मोटरसाइकिल पर कहीं भी बाजार जाते तो सर उसके साथ उड़कर काफी दूर तक जाता था। आरिफ की थाली से ही खाना खाने लगा था।
देखते-देखते इन दोनों की कहानी इतनी गहरी हो गई कि अगर कोई महिला आरिफ के पास आती थी तो उसे चोंच मरने लगता था और किसी को भी उसके पास आने नहीं देता था। यह बहुत ही रोचक कहानी थी। धीरे-धीरे ये खबर गांव से लेकर पुरे प्रदेश में फैल गई। इस दोस्ती को देखने के लिए आरिफ और सरस के पास दिन में हजारों लोग आने लगे सोशल मीडिया पर आरिफ और सारस की कहानी बहुत ज्यादा शेयर होने लगी।
जब ये बात गांव और प्रदेश में बात फैलने लगी। जल्द ही मीडिया में उनकी तस्वीरें आने लगीं और वन विभाग ने मुकदमा दर्ज करा दिया। इस मामले के बाद राजनीति के लोग भी आरिफ के सपोर्ट में आ गए थे। विपक्ष के नेताओं ने सवाल उठाया कि मोदी के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई, जबकि उनके घर में मोर हैं? फिलहाल सारस अब कानपुर के एक चिड़ियाघर में है।
देश के कई स्थानों पर सारस को पूजा जाता है। इन्हें प्रेम का प्रतीक माना जाता है। जी हां, इसकी प्रेम कहानी दिलचस्प है। दरअसल, सारस का बच्चा जब एक साल का हो जाता है तो माता-पिता को छोड़ देते हैं। वह सारसों के झुंड में चला जाता है। पंख फैलाकर घूमना और आवाज निकालना उनकी आदत होती है। मादा सारस को नर रिझाता है। ये बेवफाई नहीं करते। एक बार जोड़ा बन जाए यानी मादा राजी हो जाए तो ये जीवनभर उसी के साथ रहते हैं। यही वजह है कि सारस अक्सर जोड़े में देखे जाते हैं। ये झुंड से अलग हो जाते हैं और अपना आशियाना बनाते हैं।
पानी या जमीन से थोड़ी ऊंचाई पर ये घोसला बुनते हैं। घर या कहिए इलाका इनका हो जाता है। इनके संबंध बनाने का समय अप्रैल से जून तक का महीना होता है। ये आसमान की तरफ मुंह करके आवाज निकालते हैं। सुनने में ऐसा लगेगा जैसे नर और मादा किसी गीत को पूरा कर रहे हैं। नर-मादा पंख फैलाकर रास नृत्य करते हैं। जी हां, ये गोलाकार घूमते हैं। जैसे हिंदी फिल्मों में बाहें फैलाकर हम हीरो-हीरोइन को देखते हैं।
दूसरे सारस उनकी गृहस्थी में दखल नहीं देते। फिर भी कोई मनचला सारस अगर मादा के करीब आने की कोशिश करता है तो नर उसे चुनौती देता है। कहा जाता है कि नर अपनी प्रेमिका की रक्षा के लिए जान भी दे देते हैं। मादा के अंडों से बच्चे एक महीने में बाहर आ जाते हैं। गोंड जनजाति के लोग सारस को पवित्र मानते हैं। कहा जाता है कि सारस अपने जीवन में एक बार ही प्रेम करते हैं या कहिए जोड़ा बनाते हैं। जोड़ा टूटता है तो दूसरा जीवनभर अकेला ही रह जाता है।