समंदर के बीच बसे किले में भारत की अनोखी जेल, जहां बंद है बस एक कैदी
जब हम जेल की बात करते हैं, तो हमारी कल्पना में भारी सुरक्षा, संकरी बैरक और बड़ी संख्या में कैदी आते हैं. पर भारत के केंद्रशासित प्रदेश दीव में एक ऐसी अनोखी जेल है जो इन सभी धारणाओं को तोड़ती है. इस जेल में समंदर के बीच एक भव्य किले जैसी इमारत में सिर्फ एक कैदी बंद है. इसे देखकर विश्वास करना मुश्किल होता है कि यह वास्तव में एक जेल है, जो 472 साल पुरानी है और कभी पुर्तगाल के उपनिवेश का हिस्सा थी.
आपने देश में जेलों के हालात और कैदियों की स्थिति को लेकर खूब चर्चाएं सुनी होंगी. देश में कैदियों की संख्या इतनी ज्यादा है कि उस हिसाब से बैरक कम है. लेकिन मजेदार बात यह है कि भारत में एक जेल ऐसा भी है, जहां सिर्फ और सिर्फ एक कैदी बंद है. यह जेल भी ऐसा है जैसे मानों कोई ऐतिहासिक किला हो. वो भी पानी के बीच में. समुद्र के बीचों-बीच स्थित यह जेल न केवल अपने इतिहास के कारण प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी वर्तमान स्थिति भी इसे खास बनाती है. तो चलिए इस जेल के बारे में जानते हैं.
2013 में बंद हुई थी जेल
इस जेल को 2013 में बंद कर दिया गया था, और इसके बाद से ज्यादातर कैदियों को गुजरात की अमरेली जेल में ट्रांसफर कर दिया गया. यहां कभी 7 कैदी हुआ करते थे, जिसमें 2 महिलाएं भी थीं. धीरे-धीरे सभी कैदियों को दूसरी जेलों में भेज दिया गया, और अब यहां दीपक कांजी अकेले कैदी के रूप में रह रहे हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग इस ऐतिहासिक जेल को एक पर्यटन स्थल बनाने की योजना में है, ताकि पर्यटक इस पुराने किले की भव्यता को करीब से देख सकें.
अकेला कैदी: दीपक कांजी
इस ऐतिहासिक जेल में कैद एकमात्र व्यक्ति हैं दीपक कांजी है. इस परअपनी पत्नी की जहर देकर हत्या करने का आरोप है. दीपक की उम्र 30 साल है, और ट्रायल के बाद उसे इस जेल से गुजरात की किसी दूसरी जेल में शिफ्ट किया जाएगा. वर्तमान में उनकी सुरक्षा के लिए जेल में 5 सिपाही और एक जेलर मौजूद हैं. यहां उनकी दिनचर्या बिल्कुल अलग है, क्योंकि इस जेल में वह अकेले कैदी हैं.
कैदी के लिए विशेष व्यवस्था
दीपक का भोजन स्थानीय रेस्टोरेंट से मंगवाया जाता है, और उसे बैरक में कई तरह की सुविधाएं दी जाती हैं. वह टीवी और अन्य आध्यात्मिक चैनल देख सकता हैं और गुजराती अखबार और मैगजीन भी पढ़ सकता है। शाम 4 बजे से 6 बजे के बीच उसे ताजी हवा में टहलने की भी अनुमति दी जाती है. हालांकि, अकेले कैदी होने के कारण उनके लिए यहां समय बिताना मुश्किल हो जाता है.
सरकार का खर्च और सुरक्षा इंतजाम
आंकड़ों के अनुसार, दमन और दीव की इस जेल में सरकार एक कैदी पर हर महीने 32,000 रुपये खर्च करती है, जो भारत के अन्य जेलों की तुलना में काफी अधिक है. यहां की शांति और प्राकृतिक सुंदरता के बीच स्थित यह जेल अब एक ऐतिहासिक धरोहर और अनोखा स्थल बन चुकी है.