Snake Bites: भारत में सांप के काटने की घटनाएं साल दर साल चिंता का कारण बन रही हैं. इंडियन मिलियन डेड स्टडी 2020 के मुताबिक, हर घंटे सांप के काटने से औसतन 6 लोगों की मौत हो जाती है. यह आंकड़ा बेहद गंभीर है, क्योंकि हर साल 30 से 40 लाख सर्पदंश के मामले दर्ज होते हैं. भारत को इस समस्या की भयावहता के कारण 'स्नेक बाइट कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड' कहा जाता है.
इन बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने सर्पदंश को सूचित करने योग्य बीमारी (Notifiable Disease) की श्रेणी में डाल दिया है. यह कदम इसलिए अहम है ताकि सर्पदंश से होने वाली मौतों और इसके मामलों की सटीक निगरानी की जा सके. नोटिफायबल डिजीज वे बीमारियां होती हैं जिनमें संक्रमण फैलने का खतरा होता है या जिनकी वजह से मौतें हो सकती हैं. इनमें टीबी, डेंगू, मलेरिया, हैजा और हेपेटाइटिस जैसे रोग पहले से शामिल हैं. अब सांप के काटने को भी इस सूची में जोड़ दिया गया है ताकि इसके इलाज और रोकथाम पर ज्यादा ध्यान दिया जा सके.
सांप के काटते ही उसका जहर खून में मिलकर शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचाने लगता है. यह नसों को डैमेज करता है और गंभीर स्थिति में दिल और फेफड़ों को पैरालाइज कर देता है. समय पर इलाज न मिले तो मरीज की मौत भी हो सकती है. सर्पदंश के शिकार व्यक्ति को बचाने के लिए एंटीवेनम देना बेहद जरूरी होता है.
भारत सरकार ने साल 2030 तक सर्पदंश से होने वाली मौतों को आधा करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए वन हेल्थ अप्रोच को अपनाया जाएगा. जून 2017 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने सर्पदंश को 'नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज' की प्राथमिकता सूची में शामिल किया था.
सांप के काटने को सूचित करने योग्य बीमारी बनाने से इसकी घटनाओं और मौतों का सटीक रिकॉर्ड रखा जा सकेगा. इसके आधार पर सरकार ऐसे इलाकों में एंटीवेनम की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी, जहां सर्पदंश के मामले ज्यादा पाए जाते हैं. इस पहल से न सिर्फ लोगों को जागरूक किया जा सकेगा बल्कि सर्पदंश से होने वाली मौतों में भी कमी लाने की उम्मीद है. सरकार का यह कदम लाखों जिंदगियों को बचाने की दिशा में अहम साबित हो सकता है. First Updated : Sunday, 15 December 2024