जल्दी शादी और फिर बच्चा... एक ऐसा देश जहां छोटी सी उम्र में ही लड़कियां बन जाती हैं मां

दक्षिण सूडान में गरीबी और अस्थिरता के कारण किशोर लड़कियां बहुत कम उम्र में शादी करती हैं और मां बन जाती हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है. वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के अनुसार, यहां हर 1,000 लड़कियों में से 97 लड़कियां 15-19 साल की उम्र में मां बन जाती हैं.

दुनिया में हर देश की अपनी सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियां होती हैं, लेकिन कुछ देशों में हालात इतने खराब होते हैं कि वहां के लोगों का जीवन कठिनाईयों से भरा होता है. ऐसे में दक्षिण सूडान, जो कि दुनिया का सबसे गरीब देश है, वहां किशोरियों की शादी और मां बनने की उम्र बेहद कम हो गई है. यहां की लड़कियां बहुत ही छोटी उम्र में मां बन जाती हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है.

दक्षिण सूडान की गरीबी और अस्थिरता के कारण यहां की महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. गृहयुद्ध, राजनीतिक अस्थिरता और बुनियादी सेवाओं की कमी के कारण यहां के लोग जूझ रहे हैं. यहीं कारण है कि यहां के समाज में लड़कियों की जल्दी शादी और कम उम्र में मां बनना एक आम बात हो गई है.

दक्षिण सूडान में किशोर माताओं की बढ़ती संख्या

दक्षिण सूडान के हालात इतने खराब हैं कि यहां 1000 लड़कियों में से 97 लड़कियां 15 से 19 साल की उम्र में मां बन जाती हैं. वर्ल्ड बैंक के 2022 के आंकड़ों के मुताबिक, इस देश में किशोर माताओं की संख्या बहुत ज्यादा है. गरीबी, शिक्षा की कमी और सामाजिक दबाव के कारण लड़कियां जल्दी शादी करती हैं और फिर मां बन जाती हैं, जो उनके और उनके बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

स्वास्थ्य पर गंभीर असर

किशोरियों की कम उम्र में मां बनना उनके स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है. यहां स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के चलते किशोर माताओं और नवजात शिशुओं की मृत्यु दर काफी ज्यादा है. बहुत सी किशोरियां देखभाल और पोषण की कमी के कारण परेशानियों का सामना करती हैं, जिससे उनका जीवन और उनके बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ जाता है.

सुधार की कोशिशें, लेकिन हालात अभी भी जटिल

इस गंभीर समस्या को लेकर सरकार और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कोशिश कर रही हैं, लेकिन अभी भी हालात बहुत ज्यादा मुश्किल बने हुए हैं. लड़कियों की शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की कोशिशें चल रही हैं, लेकिन गरीबी और अस्थिरता की वजह से इन कोशिशों का असर पूरी तरह से नहीं दिख रहा है. दक्षिण सूडान जैसे देशों में सामाजिक और स्वास्थ्य संकटों से निपटने के लिए अभी बहुत काम किया जाना बाकी है, ताकि यहां की लड़कियां स्वस्थ, सुरक्षित और शिक्षित जीवन जी सकें.

calender
02 April 2025, 05:38 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag