एक ऐसा किला जिसके निर्माण के लिए चढ़ानी पड़ी थी इंसान की बलि, जानिए 425 साल पुराना इतिहास

महाराष्ट्र के जयगढ़ किले का निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ और इसे विजय किले के नाम से भी जाना जाता है. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, किले के निर्माण में लगातार बाधाएं आ रही थी, जिसके बाद जयगढ़ नामक युवक ने स्वेच्छा से नरबलि दी, तब जाकर निर्माण कार्य पूरा हुआ.

महाराष्ट्र में स्थित जयगढ़ किला इतिहास के पन्नों में अपनी अलग पहचान रखता है. ये किला ना केवल अपनी भव्यता और स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी निर्मम और रहस्यमयी कहानी भी लोगों के रोंगटे खड़े कर देती है. ऐसा कहा जाता है कि इस किले के निर्माण में नरबलि दी गई थी, जिसके बाद ही इसका निर्माण पूरा हो पाया.

वहीं, 16वीं शताब्दी में बने इस किले को विजय किले के नाम से भी जाना जाता है. गणपतिपुले के उत्तर-पश्चिम में करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ये किला आज भी अपने प्राचीन अवशेषों के साथ खड़ा है, मानो बीते इतिहास की गवाही दे रहा हो.

जब नरबलि के बाद बना किला

इतिहासकारों और स्थानीय मान्यताओं की मानें तो, जयगढ़ किले का निर्माण किसी ना किसी कारणवश पूरा नहीं हो पा रहा था. निर्माण में लगातार रुकावटें आ रही थी, जिससे राजा और कारीगर बेहद चिंतित थे. तभी जयगढ़ नाम के एक युवक ने स्वेच्छा से किले के निर्माण के लिए अपनी बली देने का फैसला लिया.

युवक के बलिदान से मिला नाम

इतना ही नहीं, कहा जाता है कि जैसे ही इस युवक ने अपने प्राणों की आहुति दी, वैसे ही निर्माण कार्य बिना किसी बाधा के पूरा होने लगा. उस वीर युवक की कुर्बानी को अमर बनाने के लिए इस किले का नाम जयगढ़ किला रख दिया गया.

आज भी मौजूद हैं किले के अवशेष

हालांकि, समय के थपेड़ों के कारण किला अब पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है, लेकिन इसके अवशेष अब भी इतिहास प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. मजबूत दीवारें, विशाल दरवाजे और पुरानी स्थापत्य शैली इस बात का प्रमाण हैं कि कभी ये किला कितनी भव्यता से खड़ा था.

पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र

इतिहास में रुचि रखने वाले और रहस्यमयी स्थलों की खोज करने वाले पर्यटक इस किले की यात्रा जरूर करते हैं. खासकर, इस किले से जुड़ी नरबलि की कहानी इसे और भी रहस्यमयी बनाती है.

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17 March 2025, 03:07 PM IST

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