Divorce Temple: जापान के कामाकुरा शहर में स्थित मात्सुगाओका टोकेई-जी मंदिर को 'तलाक मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर न केवल जापान का, बल्कि दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां महिलाएं अपने पतियों से अलग होने के लिए आती थीं.
इस मंदिर की स्थापना 1285 में हुई थी और इसका उद्देश्य महिलाओं को सामाजिक और कानूनी रूप से स्वतंत्रता प्रदान करना था. मात्सुगाओका टोकेई-जी मंदिर का इतिहास और उसका महत्व उन महिलाओं के संघर्ष को दर्शाता है, जो विषाक्त और हिंसात्मक वैवाहिक जीवन से छुटकारा पाना चाहती थीं.
मात्सुगाओका टोकेई-जी मंदिर की स्थापना 1285 में बौद्ध भिक्षुणी काकुसन-नी द्वारा की गई थी. उस समय जापानी समाज में तलाक का अधिकार केवल पुरुषों के पास था, और महिलाओं के पास अपने हिंसक और अपमानजनक पतियों से अलग होने का कोई कानूनी अधिकार नहीं था. इस स्थिति में, यह मंदिर उन महिलाओं के लिए एक सुरक्षित स्थान बन गया जो अपने पतियों से अलग होना चाहती थीं.
यह मंदिर घरेलू हिंसा और समाज के प्रतिबंधों का सामना कर रहीं महिलाओं के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल था. यहां महिलाएं आकर शरण लेती थीं और अपने पतियों से अलग होने के लिए मंदिर के अधिकारियों से सहायता प्राप्त करती थीं. धीरे-धीरे, मंदिर ने तलाक प्रमाण पत्र भी जारी करने शुरू कर दिए जिन्हें ‘त्सुइफुकु-जी’ कहा जाता था, जिससे महिलाएं कानूनी रूप से अपने पतियों से अलग हो सकती थीं.
मात्सुगाओका टोकेई-जी मंदिर को ‘काकेकोमी-डेरा’ के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है 'रिश्ता तोड़ने का मंदिर'. आज के समय में यह मंदिर तलाक से संबंधित किसी भी कानूनी मुद्दे में हस्तक्षेप नहीं करता, लेकिन यह मंदिर महिला सशक्तिकरण का एक प्रतीक बना हुआ है.
मंदिर की अद्भुत वास्तुकला और खूबसूरत बगीचे इसे एक अद्वितीय पर्यटन स्थल बनाते हैं. वर्तमान में यह न केवल जापान बल्कि पूरी दुनिया में महिला स्वतंत्रता और अधिकारों का प्रतीक माना जाता है. First Updated : Friday, 25 October 2024