AJAB GAJAB: यह कहानी है एक ब्रह्मम राक्षस की जिसका नाम शायद आपने कभी सुना होगा. ब्रह्मम राक्षस से जुड़ी एक सच्ची कहानी आपको आज मैं बताने जा रही हूँ. जिसके बारे में जानकर आपको कुछ सिख जरूर मिलेगी और डर से रूह भी कांप जाएगी. तो चलिए मैं अपनी कहानी पर आती हूँ.
एक गांव में एक ब्राह्मण रहते थे. जिनका नाम दुर्जन सिंह था. जिनको प्यार से दुर्जन जी कहकर पुकारते थे. उनके घर के पास एक खेत था, जहां पर एक बरगद का काफी पुराना पेड़ लगा हुआ था. कुछ समय के बाद दुर्जनजी ने उस खेत में अपना नया घर बनाया जिसके लिए उन्होंने उस पुराने बरगद के पेड़ को काट दिया था. कुछ समय तक सब कुछ ठीक - ठाक चलता रहा, लेकिन जैसे - जैसे समय बीतता रहा दुर्जनजी काफी परेशान से रहने लगे , जो हमेशा समय से पूजा करते थे वह अब कभी पूजा करते हैं तो कभी नहीं करते.
दुर्जनजी के बदले स्वभाव को देख उनकी पत्नी को शक हुआ, तो उन्होंने अपने पति से सामने से इसकी वजह पूछी और कहा - आपको आजकल क्या हो रहा है, न तो पूजा करते हो और बच्चों को भी ज़रा - ज़रा सी बातों पर चीखने - चिल्लाने लगते हो. इस बात को सुन दुर्जन के चेहरे पर हलकी सी मुस्कान आई और वह कहने लगे - ''मेरा घर तोड़ कर अपना घर बना लिया, इसको क्या पूजा करने के लिए कह रही हो. मैं हितों भगवान हूँ इसको पूजा करने की कोई जरूरत नहीं है. ऐसा बोलती हुए दुर्जन जी अपने दाँतों को मिजते रहे कभी उनकी आँखे गुस्से से लाल हो जाती तो कभी नॉर्मल हो जाती.
यह दृश्य देख उनकी पत्नी को पूरा विश्वास हो गया कि उसक पति पर जरूर किसी ने कुछ कर दिया है या किसी ने उन्हें अपने वश में लिया हुआ है. जिसको भगाने के लिए वह हनुमान चालीसा पढ़ने लगी लेकिन इससे कुछ फायदा नहीं हुआ. तभी दुर्जनजी गुस्साए हुए लाल - लाल आँखों से देखते हुए बोले - '' मैं किसी से नहीं डरने वाला, तू क्या समझ रही है, मैंने इसको नहीं छोड़ कर जाऊंगा .
इस बीच उनका बच्चा आ जाता है, जिसको दुर्जन जी पकड़ लेते हैं, लेकिन उनकी पत्नी अपने बच्चे को खीचते हुए कहती है इसको तो छोड़ दो इस मासूम ने आपका क्या बिगाड़ा है. तुम कौन हो और क्या चाहते हो? मेरे पति के अंदर से क्यों नहीं जा रहे हो.
इसपर दुर्जन जी के अंदर समाया राक्षस जवाब में कहता है, अगर अपना भला चाहती है तो बरगद के पेड़ लगाओ जितने हो सके उतने. ऐसा करोगी तभी मैं बताऊंगा कि कौन हूँ और में चला जाऊंगा . इसके बाद दुर्जन जी की पत्नी ने करीब 101 बरगद के पेड़ लगाए.
एक दिन उनकी पत्नी सुबह जागी तो उन्होंने देखा कि दुर्जन जी पूजा कर रहे हैं, इसके बाद एक साया आया और उनकी पत्नी से बोला - ''मैं तुम्हारे पति को आज से छोड़ रहा हूँ, तुम सदा सुखी रहो तुम्हारे आचार - विचार मुझे सच्चे लगे मैं एक ब्रह्मम राक्षस हूँ, मैं किसी को नहीं छोड़ता और न ही किसी से डरता हूँ, मैं हज़ारों सालों से उस बरगद के पेड़ पर रह रहा था जो तुम्हारे पति ने काट दिया था, इसलिय मुझे गुस्सा आ गया. लेकिन तुम्हारे सच्चे मन को देखते हुए मैं तुम्हारे पति को आज़ाद करता हूँ.
सिख: इस कहानी से यह सिख मिलती है, चाहे आपके सामने कितना भी बुरा शख्स या राक्षस क्यों न हो, यदि आप अपने मन और विचार में अच्छाई और सच्चाई रखेंगे तो बुरा - बुरा भी बदल जायेगा.
First Updated : Sunday, 06 August 2023