Amazing Bird: माथे पर तिलक और सिर पर मुकुट... बिल्ड पेलिकन की खासियत सुन चकरा जाएगा दिमाग

Amazing Bird: झारखंड के उधवा झील में पहली बार दुर्लभ बिल्ड पेलिकन पक्षी दिखा है. यह पक्षी अक्सर एशिया के दलदली इलाकों में पाया जाता है. इसकी खासियत सुनकर कोई भी हैरान हो सकता है. 

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Amazing Bird: बिल्ड पेलिकन एक ऐसा पक्षी है, जो अपने चोंच में 11 लीटर पानी भर सकता है. इसके चोंच के नीचे एक झिल्ली नुमा थैली होती है, जिसके सहारे यह मछलियों को यह अपना शिकार बनाता है. बिल्ड पेलिकन पक्षी चीते की रफ्तार से दौड़ भी सकता है. यह अपनी चोंच पर चित्तीदार निशानों के लिए जाना जाता है. बिल्ड पेलिकन भारत, श्रीलंका, दक्षिण एशिया, कंबोडिया, थाईलैंड और वियतनाम में आमतौर पर पाया जाता है. 

माथे पर तिलक और सिर पर मुकुट

बिल्ड पेलिकन की गिनती बड़े पक्षियों में होती है. इसकी लंबाई 49 से 59 इंच तक हो सकती है. वहीं पंखों का फैलाव 2.5 मीटर तक होता है. वजन में ये 4-6 किलो तक के होते हैं. बिल्ड पेलिकन के पंख अक्सर सफेद होते हैं और उनके सिर पर एक मुकुट नुमा लगा होता है. इसके साथ ही बिल्ड पेलिकन के माथे पर एक पीले रंग का निशान होता है, जो काफी सुंदर लगता है.

इन इलाकों में पाया जाता है बिल्ड पेलिकन

झारखंड के साहिबगंज जिले में मौजूद उधवा झील में पहली बार बिल्ड पेलिकन पक्षी देखा गया है. यह पक्षी उस वक्त वन अधिकारियों को नजर आया, जब वे उधवा झील का जायजा ले रहे थे. हजारीबाग जिले के बर्ड एक्सपर्ट सत्य प्रकाश ने बताया कि बिल्ड पेलिकन समाप्त होने के कगार पर हैं. भारत में बिल्ड पेलिकन एक्सपर्ट को अक्सर गुजरात, आंधप्रदेश और तमिलनाडु में देखा जाता है. सत्य प्रकाश ने बताया कि उधवा झील दुर्लभ पक्षियों के लिए एक उपयुक्त स्थान बनता जा रहा है. 

बर्ड एक्सपर्ट ने बताया कि पहली बार है जब उधवा झील में बिल्ड पेलिकन पक्षी स्पॉट हुआ. इसके पहले यह पक्षी झारखंड के जादूगोड़ा और सिंहभूमि में कई साल पहले देखा गया था. उधवा झील में देखा गया बिल्ड पेलिकन बत्तख प्रजाति का है, इनके चोंच के नीचे एक बड़ी थैली होती है. उधवा झील में इस पक्षी का दिखना इस बात का संकेत है कि यह स्थान दुर्लभ पक्षियों का अड्डा बनता जा रहा है. 

दरअसल, मौजूदा समय में उधवा झील दुनिया भर के दुर्लभ पक्षियों के प्रजनन, भोजन और प्रवास के लिए अनुकूल होता जा रहा है, जिसकी वजह से दुनिया भर के पक्षी इस तरफ खिंच रहे हैं. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यदि पर्यावरण का ध्यान रखा जाए तो दुर्लभ प्राय प्रजातियों को भी बचाया जा सकता है.  First Updated : Friday, 15 November 2024