एक अनोखा मामला: चिकन बर्गर का बिल बन गया सिरदर्द, McDonald पर 2 करोड़ का मुआवजा!
बेंगलुरु में एक शख्स ने मैकडॉनल्ड्स पर ₹2 करोड़ का मुआवजा दावा किया, क्योंकि उसे गलती से शाकाहारी फ्रेंच फ्राइज की बजाय चिकन बर्गर का बिल भेज दिया गया. जब मैकडॉनल्ड्स ने मामूली माफी और ₹100 का मुआवजा दिया, तो मामला बढ़कर कानूनी झमेले में बदल गया. अब, इस विवाद पर अदालत का क्या फैसला आया? जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर!
McDonald: बेंगलुरु से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां एक व्यक्ति ने मैकडॉनल्ड्स पर ₹2 करोड़ का मुआवजा दावा किया है. कारण था, एक मामूली बिलिंग गलती, जिसने उसे मानसिक परेशानी में डाल दिया. अब सोचिए, क्या एक छोटे से बिल की गलती के लिए 2 करोड़ रुपये का दावा किया जा सकता है? यह खबर इसी दिलचस्प विवाद के बारे में है, जिसने बहुत सुर्खियां बटोरीं.
बिलिंग की गलती ने बढ़ाया विवाद
यह घटना बेंगलुरु के उलसूर स्थित लीडो मॉल में मैकडॉनल्ड्स के आउटलेट पर हुई. जिमित जैन (बदला हुआ नाम) और उनके भतीजे ने शाकाहारी फ्रेंच फ्राइज़ का ऑर्डर दिया था. लेकिन जब बिल आया, तो उनके खाते में शाकाहारी फ्रेंच फ्राइज की जगह नॉन-वेज चिकन बर्गर का बिल था, जो कि महंगा था. जिमित ने इस गलती को तुरंत स्टाफ के सामने उठाया और वहां के कर्मचारियों ने माफी मांगते हुए ₹100 का मुआवजा भी दिया.
मैकडॉनल्ड्स से माफी की मांग
हालांकि, जिमित जैन ने मैकडॉनल्ड्स से औपचारिक माफी की मांग की, लेकिन जब उसे माफी नहीं मिली, तो उन्होंने मामला आगे बढ़ाया. जिमित ने न केवल पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई, बल्कि मैकडॉनल्ड्स को ईमेल भी भेजा. इसके बावजूद, समस्या हल नहीं हुई और जिमित ने उपभोक्ता अदालत में जाकर मैकडॉनल्ड्स पर सेवा में कमी और मानसिक परेशानी का आरोप लगाया. उन्होंने ₹2 करोड़ का मुआवजा मांगा, यह दावा करते हुए कि उन्हें सार्वजनिक अपमान और मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ा था.
मैकडॉनल्ड्स का बचाव
मैकडॉनल्ड्स ने इस मामले में अपना बचाव किया और कहा कि यह एक गलती थी, जो तुरंत सुधार ली गई थी. कंपनी ने ₹100 की माफी का प्रस्ताव दिया, जिसे जिमित ने ठुकरा दिया. मैकडॉनल्ड्स ने यह भी कहा कि उनका किसी प्रकार का दुर्भावना का इरादा नहीं था और यह मुद्दा इतने बड़े कानूनी विवाद का कारण नहीं बनना चाहिए था.
कोर्ट का फैसला: बिलिंग गलती पर मुआवजा नहीं मिलेगा
आखिरकार, इस मामले में अदालत ने जिमित जैन के पक्ष में कोई फैसला नहीं दिया. बेंगलुरु शहरी द्वितीय अतिरिक्त जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने मामले को खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि जिमित को वह शाकाहारी फ्रेंच फ्राइज़ ही दिए गए थे, जो उन्होंने ऑर्डर किए थे और बिलिंग में हुई गलती ने उनके आहार संबंधी प्राथमिकताओं पर कोई प्रभाव नहीं डाला. अदालत ने यह भी कहा कि एक छोटी सी गलती, जिसे तुरंत ठीक कर लिया गया, उस पर करोड़ों का मुआवजा नहीं हो सकता.
यह मामला एक हल्की-फुल्की बिलिंग गलती से शुरू हुआ था, लेकिन बाद में यह बड़ा विवाद बन गया. हालांकि अदालत ने यह माना कि गलती हुई थी, लेकिन इसे ₹2 करोड़ के मुआवजे का कारण नहीं माना. अब यह सवाल उठता है कि क्या हमें छोटी-छोटी गलतियों को इस तरह से बढ़ा-चढ़ा कर पेश करना चाहिए, या क्या हमें इन्हें हल्के में लेकर सुलझा लेना चाहिए?