प्रलय की आहट या प्राकृतिक चक्र? समुद्री जीवों के असामान्य व्यवहार पर विशेषज्ञों की राय!

गहरे समुद्र की मछलियां: वैज्ञानिकों को डर है कि गहरे समुद्र में कुछ चल रहा है. यह डर क्यों? हाल ही में स्पेन के लैंजारोटे द्वीप के तट पर ऑर्फ़ियस की एक दुर्लभ प्रजाति देखी गई. मछली की इस विशेष प्रजाति को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है.

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

कोलकाता: म्यांमार और थाईलैंड जैसे कई देश भूकंप से तबाह हो गए हैं. इसने भारत से लेकर वियतनाम और बांग्लादेश तक कई एशियाई देशों को प्रभावित किया है. मनुष्य प्रकृति के खेल के साथ प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ हैं. क्योंकि यह भविष्यवाणी करना मनुष्य की क्षमता से परे है कि बाढ़ कब आएगी या भूकंप कब आएगा. लेकिन, वन्य जीव या समुद्री जीव? क्या वे खतरे का पूर्वानुमान कर सकते हैं? विश्व के विभिन्न भागों में हर समय छोटे-बड़े भूकंप आते रहते हैं. उन कंपनों को भी तकनीक की मदद से रिकॉर्ड किया जा रहा है. हालांकि, वैज्ञानिक अभी तक भूकंप की पूर्व चेतावनी देने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग नहीं कर पाए हैं.

लेकिन, वन्य जीवन? क्या वे प्रकृति के प्रकोप का पूर्वानुमान कर सकते हैं? क्या उन्हें आने वाले दिनों में किसी भयानक आपदा के शुरुआती संकेत मिल रहे हैं? वैज्ञानिक अब यही आशंका जता रहे हैं. क्योंकि दुनिया के विभिन्न भागों में गहरे समुद्र में रहने वाले जानवरों की गतिविधियों में सिंदूरी बादल देखे जा रहे हैं. 

वैज्ञानिक क्यों डरते हैं?

वैज्ञानिकों को डर है कि गहरे समुद्र में कुछ चल रहा है. यह डर क्यों? हाल ही में स्पेन के लैंजारोटे द्वीप के तट पर ऑर्फ़ियस की एक दुर्लभ प्रजाति देखी गई. मछली की इस विशेष प्रजाति को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है. ऑर्फ़िस मूलतः गहरे समुद्र में रहने वाली मछली है. ऑर्फ़ियस को आमतौर पर समुद्र के ऊपर नहीं देखा जाता है. जापानी लोग ऑर्फ़ियस को 'समुद्र देवता का दूत' कहते हैं. लेकिन क्यों? 

वैज्ञानिकों के बीच चल रही हैं अटकलें 

2011 में फुकुशिमा में विनाशकारी भूकंप आया. लोगों का कहना है कि भूकंप से पहले जापान के तट पर इस मछली के समूह देखे जाते हैं. कुछ वैज्ञानिकों को डर है कि भूकंप और सुनामी की आशंका में गहरे समुद्र की मछलियाँ उस समय तट पर आ गयी थीं. प्रश्न यह है कि क्या इस बार भी ऑर्फ़ियस उसी भय के कारण तट पर पहुंचा था? वैज्ञानिकों के बीच अटकलें चल रही हैं. 

लेकिन बात यहीं नहीं होती ख़त्म...

एक अन्य समुद्री जीव ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है. उसका नाम एंजलफिश या ब्लैक सी मॉन्स्टर है. वे अँधेरे में, समुद्र की गहराई में रहते हैं. ब्लैक सी मॉन्स्टर एंजलफिश समुद्र में नहीं पाई जाती. हालाँकि, हाल ही में एक स्पेनिश कंपनी ने दावा किया कि उन्होंने पहली बार एंजेलफिश को कैमरे में कैद किया है. क्योंकि अंधकार की यह मछली समुद्र से ऊपर उठ गयी थी. वैज्ञानिक पूछते हैं, यह परिवर्तन क्यों? तो क्या गहरे समुद्र में कोई पर्यावरणीय परिवर्तन हुआ है? या क्या इन जानवरों को पहले से ही कोई चेतावनी की घंटी सुनाई दे रही है? 

क्या आप बाढ़ का पूर्वानुमान कर सकते हैं? 

एक और घटना ने भय की इस लहर को और तीव्र कर दिया है. हाल ही में तस्मानिया के तट पर सैकड़ों व्हेल मछलियाँ तैरती हुई देखी गईं. जिनमें से अधिकांश की बाद में मृत्यु हो गई. अलग घटना. हालाँकि, समुद्री जानवरों के बदलते व्यवहार ने वैज्ञानिकों के बीच चिंता पैदा कर दी है. प्रश्न यह उठता है कि क्या समुद्री जीव आने वाली बाढ़ का पूर्वानुमान कर सकते हैं? क्या महासागर का चरित्र धीरे-धीरे बदल रहा है? वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्री पर्यावरण बदल रहा है. भूमि पर प्रदूषण का प्रकोप जल पर भी महसूस किया जा रहा है. गहरे समुद्र का तापमान बदल रहा है. इसकी वजह से समुद्र की तस्वीर बदल रही है. वातावरण बदल रहा है. क्या यह किसी बड़ी आपदा का संकेत है? अब वैज्ञानिक यही सोच रहे हैं. 

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29 March 2025, 07:59 PM IST

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