'क्या आपने कभी सुना है? दीवार पर चिपका केला 52 करोड़ में बिक गया!'
क्या आपने कभी सोचा है कि एक केला करोड़ों में बिक सकता है? जी हां, एक साधारण केला, जो दीवार पर टेप से चिपकाया गया था, 52 करोड़ रुपये में बेचा गया! यह कला की दुनिया में एक बड़ा विवाद बन गया है और इसे खरीदने वाला चीनी उद्यमी इसे एक 'सांस्कृतिक घटना' मानता है. आखिर क्या है इस केले की इतनी बड़ी कीमत? जानने के लिए पढ़ें पूरी कहानी!
Trending Story: कला और आर्टवर्क की दुनिया कभी-कभी ऐसी घटनाओं से चौंक जाती है, जिन्हें हम आमतौर पर समझ नहीं पाते. हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया, जहां एक साधारण केला, जिसे दीवार पर टेप से चिपकाया गया था, 52 करोड़ रुपये में बिका. यह घटना कला की दुनिया में एक नए विवाद और चर्चा का विषय बन चुकी है. सवाल उठता है कि आखिर एक केला कैसे इतनी बड़ी रकम में बिक सकता है? आइए, जानते हैं इस कला के पीछे की पूरी कहानी और क्यों इसे इतना महंगा खरीदा गया.
52 करोड़ में बिका ‘कॉमेडियन’ आर्टवर्क
यह घटना 2019 की है, जब इटली के मशहूर विजुअल आर्टिस्ट मौरिज़ियो कैटेलन ने एक साधारण केला दीवार पर टेप से चिपकाकर एक कला के रूप में पेश किया. इस कला को ‘कॉमेडियन’ नाम दिया गया था. अब, हाल ही में इस कला को न्यूयॉर्क में एक नीलामी में बेचा गया और जिस कीमत पर यह कला बिकी, वह वाकई चौंकाने वाली थी. 6.2 मिलियन डॉलर यानी करीब 52.7 करोड़ रुपये की कीमत में यह केला एक चीनी उद्यमी जस्टिन सन द्वारा खरीदा गया. यह आर्टवर्क इतना मशहूर था कि इसे करोड़ों में बेचना संभव हो पाया.
जस्टिन सन का बयान
जब जस्टिन सन से पूछा गया कि उन्होंने इस कला को क्यों खरीदा, तो उन्होंने इसे सिर्फ एक कला का हिस्सा नहीं, बल्कि एक "सांस्कृतिक घटना" बताया. उनका कहना था, "यह केवल एक कला नहीं है, यह कला, मीम्स और क्रिप्टोकरेंसी समुदाय की दुनिया को जोड़ता है. मैं मानता हूं कि यह भविष्य में और ज्यादा चर्चाएं और विचारों का हिस्सा बनेगा.'' सन ने इसे एक ब्रिज की तरह देखा, जो आज के समय के डिजिटल और सांस्कृतिक बदलाव को दर्शाता है.
‘कॉमेडियन’ ने पहले भी बनाई थी सुर्खियां
यह पहली बार नहीं है जब इस आर्टवर्क ने सुर्खियां बटोरी हैं. 2019 में जब इसे मियामी के आर्ट बेसल मेले में तीन फलों के संस्करण के रूप में प्रदर्शित किया गया था, तब यह कला एक सनसनी बन गई थी. कला प्रेमियों और आलोचकों ने इसे एक नया रूप देने के कारण काफी सराहा था. इसने कला की परिभाषाओं को फिर से चुनौती दी थी और कला को समझने के नए तरीके प्रस्तुत किए थे.
कला और उसकी कीमत पर सवाल
यह मामला यह सवाल उठाता है कि क्या एक साधारण वस्तु को कला के रूप में स्वीकार करना सही है और क्या कला की कीमत इस पर निर्भर करती है कि उसे किसने और कहां प्रस्तुत किया है? एक साधारण केला जो किसी के घर में खाया जाता, एक आर्टवर्क में तब्दील होकर लाखों में बिक सकता है, यह कला की दुनिया के रहस्यों को उजागर करता है.