आग, पानी और हथियार: देश-दुनिया में कैसे मनाया गया मुहर्रम का त्योहार

मुहर्रम के दिन को खास इसलिए कहा जाता है कि इसी दिन धर्मयुद्ध की लड़ाई लड़ते हुए कर्बला में हुसैन साहब अपने लगभग 72 साथियों के साथ शहीद हो गए थे. जिस महीने हुसैन शहीद हुए थे वह मुहर्रम का महीना था. उस समय के बाद से अब तक इस महीने को गम के दिनों के रूप में मनाया जाता है. शिया लोग 'मुहर्रम' के दिन ताजिया निकालते हैं और मजलिस पढ़कर गम जताते हैं. वहीं सुन्नी समुदाय के लोग रोजा रखकर नमाज अदा करते हैं.

JBT Desk
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