आग, पानी और हथियार: देश-दुनिया में कैसे मनाया गया मुहर्रम का त्योहार

मुहर्रम के दिन को खास इसलिए कहा जाता है कि इसी दिन धर्मयुद्ध की लड़ाई लड़ते हुए कर्बला में हुसैन साहब अपने लगभग 72 साथियों के साथ शहीद हो गए थे. जिस महीने हुसैन शहीद हुए थे वह मुहर्रम का महीना था. उस समय के बाद से अब तक इस महीने को गम के दिनों के रूप में मनाया जाता है. शिया लोग 'मुहर्रम' के दिन ताजिया निकालते हैं और मजलिस पढ़कर गम जताते हैं. वहीं सुन्नी समुदाय के लोग रोजा रखकर नमाज अदा करते हैं.

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Courtesy: सोशल मीडिया
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ईरान की खास तस्वीर

17 जुलाई यानी आज देश- विदेश में मुहर्रम मनाया जा रहा है. हालांकि आशूरा बीते 16 जुलाई की शाम से शुरू हो गया है. इस खास मौके पर ईरान में मौजूद कर्बला की तस्वीर हम आपको दिखा रहे हैं. जिसे ड्रोन की मदद से खींचा गया है.

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जयपुर ताजिए की तस्वीर

इस्लाम में रमजान के महीने के बाद अगर कोई सबसे पवित्र महीना है तो वह है मुहर्रम. आज यानी बुधवार को जयपुर में मुहर्रम के दसवें दिन, जो आशूरा का दिन है बेहद खास है. जहां बहुत बड़ा जुलूस निकाला गया, ताजिया के साथ श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई.

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पटना ताजिए की तस्वीर

इस दिन को खास इसलिए बोला जाता है कि अंतिम पैगंबर मुहम्मद के पोते की शहादत का मातम इस दिन मनाया जाता है. जिनका नाम हज़रत इमाम हुसैन था, दरअसल शिया समुदाय के लोगों के द्वारा इनका शोक मनाया जाता है. आज पटना में भी मुहर्रम को बेहद खास तरीके से मनाया गया. जुलूस निकाले गए, इस दौरान श्रद्धालु खुद को ध्वजारोहण करते नजर आए.

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श्रीनगर ताजिए की तस्वीर

इस विशेष त्योहार को शिया और सुन्नी दोनों समुदाय के लोग अलग-अलह तरह से मनाते हैं. ताजिए निकालते हैं, लोगों में मातम भरा महौल होता है. कई लोग अपने सीने पर खुद से प्रहार करके शरीर को घायल कर लेते हैं. आज यानी बुधवार को श्रीनगर में डल झील के अंदरूनी इलाकों में भक्तों ने नावों पर मुहर्रम जुलूस निकाला.

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लखनऊ ताजिए की तस्वीर

पुरानी मान्यताओं के मुताबिक कर्बला की जंग में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के छोटे नवासे हजरत इमाम हुसैन अपने 72 साथियों के साथ शहीद हुए थे इसलिए ये दिन उनकी याद में मनाया जाता है. शिया मुस्लिम के लोगों ने बीते सोमवार को लखनऊ की दरिया वली मस्जिद में 8वीं मुहर्रम पर अलम-ए-फतेह फुरात जुलूस निकाला.