भारत के इस गांव में महिलाओं को नहीं पहनने दिए जाते कपड़े? निभाते हैं सदियों पुरानी परंपरा, जानिए कहानी
Women are not allowed to wear clothes: भारत में परंपराओं और रीति-रिवाजों का विशेष महत्व है, लेकिन कुछ परंपराएं इतनी अनोखी और अजीब होती हैं कि वे चर्चा का विषय बन जाती हैं. ऐसी ही एक अजीब परंपरा है जो हिमाचल प्रदेश के मणिकर्ण घाटी में स्थित पिणी गांव में देखने को मिलता है. यहां महिलाओं को कपड़े पहनने की सख्त मनाही होती है. तो चलिए जानते हैं इसके बारे में...
Himachal Pradesh Pini village Weird Tradition: भारत एक ऐसा देश हैं जहां परंपराओं और रीति-रिवाजों का हमेशा से विशेष महत्व रहा है. लेकिन कुछ परंपराएं इतनी अनोखी होती हैं कि वे लोगों के बीच चर्चा का विषय बन जाती हैं. हिमाचल प्रदेश की मणिकर्ण घाटी के पिणी गांव की ऐसी ही एक परंपरा है, जहां हर साल सावन के महीने में महिलाओं को कपड़े पहनने की सख्त मनाही होती है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे लेकर गांव के लोग गहरी आस्था रखते हैं.
पिणी गांव की यह परंपरा भारत की अनोखी और रोचक परंपराओं में से एक है. हालांकि यह परंपरा कई लोगों के लिए अजीब हो सकती है, लेकिन इसके पीछे छिपा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व इसे खास बनाता है. तो चलिए इस परंपर के बारे में विस्तार से जानते हैं.
महिलाओं के लिए कपड़े पहनने पर रोक
हिमाचल प्रदेश की मणिकर्ण घाटी के पिणी गांव की परंपरा के अनुसार, हर साल सावन के महीने में महिलाओं को पांच दिनों तक कपड़े पहनने की सख्त मनाही होती है. इस दौरान वो केवल ऊन के बने पटके का उपयोग कर सकती हैं और घर के अंदर ही रहती हैं. इन दिनों में उन्हें पुरुषों से बात करना, उनके सामने आना, और यहां तक कि एक-दूसरे पर मुस्कुराने की भी अनुमति नहीं होती.
पुरुषों के लिए भी सख्त नियम
हालांकि, ऐसा नहीं है कि ये नियम सिर्फ महिलाओं के लिए है बल्कि पुरुषो के लिए भी है. पिणी गांव की परंपरा के अनुसार, इस दौरान पुरुषों को भी कई कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है. उन्हें शराब पीने, मांस खाने और अन्य मनोरंजन गतिविधियों से दूर रहना होता है. यहां तक कि पति-पत्नी भी इन दिनों एक-दूसरे से बात नहीं कर सकते हैं.
परंपरा का ऐतिहासिक कारण
पिणी गांव के लोग मानते हैं कि यह परंपरा 'लाहूआ घोंड' देवता की कृपा बनाए रखने के लिए जरूरी है. उनकी मान्यता है कि सदियों पहले राक्षसों ने गांव पर आतंक फैलाया था और विवाहित महिलाओं को परेशान किया था. देवता ने राक्षसों से गांव की रक्षा की, जिसके बाद यह परंपरा शुरू हुई. गांव वालों का कहना है कि अगर इस परंपरा का पालन नहीं किया गया तो देवता नाराज हो जाएंगे और बुरी घटनाएं हो सकती हैं. इसी डर और श्रद्धा के कारण यह परंपरा आज भी निभाई जाती है.
बाहरी लोगों के लिए गांव में प्रवेश वर्जित
इस दौरान बाहरी लोगों को पिणी गांव में प्रवेश की अनुमति नहीं होती. गांव वाले इस परंपरा का पालन पूरी निष्ठा से करते हैं, और इसे अपनी सांस्कृतिक धरोहर मानते हैं. पिणी गांव की यह परंपरा आधुनिकता के दौर में भी जीवित है. यह इस बात का प्रमाण है कि ग्रामीण भारत आज भी अपनी प्राचीन परंपराओं और मान्यताओं को दिल से निभाता है.