AI का प्रयोग दुनिया भर में चर्चे का विषय बना हुआ है. एक दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में AI के प्रयोग पर चर्चा हुई है. इस बैठक में आए सभी देश एक मत नजर नहीं आए. कुछ लोगों का कहना है कि यह मानवता के लिए खतरा है तो वही कुछ लोगों का कहना है कि ये भविष्य को बदल देगा.
इस समय दुनियाभर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बहस चल रही हैं लेकिन आपका बता दें कि इसका इतिहास 2700 साल पुराना है. दरअसल यह दावा स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता का है उन्होंने कहा कि, AI रोबोट की संकल्पना आज से 2700 साल पहले की गई थी, उस कांस्य मानव का नाम टैलोस था. हालांकि ये रोबोट बात तो नहीं कर सकता था लेकिन इंसान की हाव-भाव को समझ सकता था.
कहा जाता है कि टैलोस नाम के रोबोट का निर्माण यूनानी देवता हेफेस्टस ने किया था. उन्हें आग और धातु का देवता माना जाता था. इसके अलावा हेफस्टस ने पिंडोरा और एक अन्य संचालित ग्रुप तैयार कर दैनिक कार्यों में काम आते थे. एड्रिएन मेयर का दावा है कि हिफेस्टस ने जो रोबोट बनाया था वो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित था.
पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्राम लॉजिक थियोरिस्ट था-
काफी कम लोग जानते है कि AI की शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ही शुरु हो गई थी. उस दौराम नाजी एनिग्मा कोड को तोड़ने के लिए एलन ट्यूरिंग ने ट्यूरिंग टेस्ट किया था. इसका उद्देश्य ये था कि क्या ये मशीनी मानव की तरह सोच सकता है?. उसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक ने शब्द को गढ़ा और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा एलएसआईपी बनाई जिसे आज भी AI में इस्तेमाल किया जाता है. AI प्रोग्रामिंग लॉजिक थियोरिस्ट को 1955-1956 में एलन नेवल, हर्बर्ट साइमन ने मिलकर बनाया था, जो गणितीय समस्याओं को हल करता था. First Updated : Wednesday, 19 July 2023