Mughal Sultanate History:जिस भाई ने बचाई थी जान उसी को मौत की घाट उतारा, पढ़े मुगल सल्तनत का दिलचस्प इतिहास
मुगल सल्तनत में ऐसी कई दिलचस्प कहानियां है जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी. मुगल वंश में शाहजहां के बाद उत्तराधिकारी कौन बनेगा जब यह मुद्दा खड़ा हुआ तो भाइयों के बीच कत्लेआम का सिलसिला शुरू हो गया. गद्दी पर बैठने के लिए अपने ही भाई की हत्या करने लगे.
जब शाहजहां के बाद उत्तराधिकारी बनने का समय आया तो अपने ही भाइयों के बीच कत्लेआम शुरू हो गया. दरअसल, शाहजहां के चार बेटे थे, शिकोहा, शाहशुजा, औरंगजेब और मुराद. जब शाहजहां की उम्र ढलने लगी तो मुगल सल्तनत की गद्दी संभालने के लिए चारों भाई एक दूसरे के खून के प्यासे बन गए. आपने दारा शिकोहा और औरंगजेब की बीच हुए सत्ता के संघर्ष के किस्से जरूर सुने होंगे लेकिन शाह शुजा को जानेंगे तो आपको पता चलेगा कि औरंगजेब की राह में वो कितना बड़ा कांटा था.
यहां से शुरू हुई गद्दी के लिए जंग-
मुगल सल्तनत में गद्दी के लिए जंग शाहजहां के पिता जहांगीर के काल से शुरू हुई. जहांगीर के मरने के बाद शाहजहां ने अपने भाइयों खुसरो और शहरयार की मौत का आदेश दिया. यह कत्लेआम गद्दी संभालने के बाद भी नहीं रुका और बादशाह बनने के बाद शाहजहां ने अपने तीनों भाइयों को मौत के घाट उतार दिया. वहीं शाहजहां के मरने के बाद जब राजगद्दी संभालने की बात आई तो यह मुद्दा खड़ा हुआ कि शाहजहां के बाद उत्तराधिकारी कौन बनेगा. इसके बाद ही मुगल शहजादे एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए.
शाहजहां अपने चारों बेटों में से शिकोहा को ज्यादा प्यार करते थे. जिकारण उन्हें सैन्य अभियानों से भी दूर रखते थे और अपनी आंखों से कभी ओझल नहीं होने देते थे. लेकिन औरंगजेब और उनके भाइयों को यह बिल्कुल मंजूर नहीं था कि शाहजहां के बाद मुगल सल्तनत की गद्दी शिकोहा संभाले. जिसके बाद औरंगजेब अपने दूसरे भाईयों के साथ मिलकर शिकोहा के खिलाफ जाल बिछाना शुरू कर दिया.
जिसने बचाई जान उसी को मौत की नींद सुला दिया-
अगर हम औरंगजेब की बात करें तो दारा शिकोहा का जिक्र जरूर होता है लेकिन शाह शुजा का जिक्र नहीं किया जाता. हालांकि औरंगजेब को गद्दी तक पहुंचाने वाला शाह शुजा हीं है लेकिन बावजूद इसके औरंगजेब ने शाह शुजा को मरवा दिया.
औरंगजेब की जान बचाने के लिए शाहशुजा ने लगाई जान की बाजी-
दरअसल, मुगल सल्तनत में शहजादों में हमेशा से ही जनता के सामने अपनी शक्ति प्रदर्शन करने की रिवाज रही है ऐसा ही एक किस्सा इन दोनों भाइयों से जुड़ा है. जब औरंगजेब अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए हाथी से भिड़ने के लिए मैदान में उतर जाता है. जब औरंगजेब रणभूमि में दो हाथियों के बीच उतरा तो एक हाथी बिदक गया और गुस्से में औरंगजेब की तरफ तेजी से भागता हुआ हाथी को देख वहां मौजूद सभी को लगा कि अब औरंगजेब की मौत निश्चित है. हाथी पहले घोड़े पर अपना गुस्सा निकालता है और जब घोड़ा घायल हो जाता है तो औरंगजेब जमीन पर गिर जाता है उसके बाद हाथी औरंगजेब पर हमला करने के लिए आगे बढ़ता है कि शाहशुजा अपने हाथ में मशाल लेकर बीच में खड़ा हो जाता है. जिससे हाथी का ध्यान भटक जाता है और औरंगजेब की जान बच जाती है. कहा जाता है कि, अगर उस दिन शाह शुजा ने औरंगजेब की जान नहीं बचाई होती तो उसका मरना तय था.
पहले बचाई जान, फिर गद्दी पर बैठाया बावजूद इसके शाहशुजा को मिली मौत-
जब मुगल सल्तनत की सत्ता को हथियाने की बारी आई तब औरंगजेब ने अपना जाल बिछाना शुरू कर दिया, औरंगजेब ने सत्ता के लिए अपने भाई तक को भी नहीं छोड़ा जिसने उसकी जान बचाई थी. औरंगजेब को अच्छी तरह से पता था कि उसके भाई शाह शुजा के पास सैनिकों की संख्या काफी ज्यादा है यही वजह थी कि औरंगजेब ने शाह शुजा और मुराद को अपनी तरफ शामिल कर लिया. उसके बाद शाह शुजा की मदद से औरंगजेब ने अपने भाई दारा शिकोह को दिल्ली से दूर कर दिया और फिर बाद में मौत की नींद सुलाने का आदेश दे दिया.
गद्दी की लालच में अपने ही भाई का किया कत्लेआम-ॉ
औरंगजेब मुगल वंश सबसे कट्टरता और क्रूरता के लिए जाता है जिसने अपने भाई और पिता को भी नहीं छोड़ा, उस भाई को भी नहीं छोड़ा जिसने उसकी जान बचाई थी.औरंगजेब जब अपने भाई मुराद और अपने पिता शाहजहां को सलाखों के पीछे भेज दिया तब उसके सामने सिर्फ उसका भाई सा शाह शुजा था. 1 दिन शाह शुजा ने खुद को मुगल सल्तनत का बादशाह घोषित कर दिया क्योंकि वह औरंगजेब के हाव भाव को देखकर उसकी नियत का पता लगा लिया था. और फिर उसने जंग का ऐलान किया. हालांकि इस जंग में शाह शुजा को औरंगजेब से हार मिली जिसके बाद शाह शुजा ढाका की तरफ भाग गया लेकिन औरंगजेब ने उसे अराकान के बादशाह से मरवा दिया.