दो हिस्सों में बंट रहा है भारत! सामने आई चौंकाने वाली स्टडी
Indian plate splitting: हालिया भूगर्भीय अध्ययन से पता चला है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट दो हिस्सों में विभाजित हो रही है, जिससे हिमालय क्षेत्र में भूकंप के खतरे बढ़ सकते हैं. तिब्बत के नीचे भूकंप तरंगों और झरनों से निकली गैसों के विश्लेषण में यह सामने आया कि प्लेट का निचला हिस्सा ऊपरी हिस्से से अलग होकर मेंटल में धंस रहा है. यह खोज हिमालय के निर्माण और टेक्टोनिक प्लेटों के व्यवहार को समझने में मदद कर सकती है, लेकिन वैज्ञानिकों ने सीमित डेटा और संभावित अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए सतर्कता बरतने की सलाह दी है.
Indian plate splitting: भारत के भूगर्भीय परिदृश्य को लेकर एक हैरान कर देने वाला अध्ययन सामने आया है, जो यह संकेत देता है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट दो हिस्सों में विभाजित हो रही है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह विभाजन भूगर्भीय प्रक्रियाओं के कारण हो रहा है, जिसमें गर्म मेंटल चट्टानें रिक्त स्थान को भर रही हैं. यह प्रक्रिया हिमालय क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में भूकंप के खतरे को भी बढ़ा सकती है.
यह अध्ययन न केवल हिमालय के निर्माण को समझने में नई रोशनी डालता है, बल्कि यह प्लेटों के विघटन और उनके प्रभावों पर हमारी समझ को भी गहरा करता है. हालांकि, विशेषज्ञों ने इस नई जानकारी के बावजूद डेटा की सीमाओं और संभावित अनिश्चितताओं पर जोर दिया है.
हिमालय की उत्पत्ति और टेक्टोनिक प्लेटों की भूमिका
हिमालय, भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटों के बीच 60 मिलियन वर्षों से चल रहे टकराव का परिणाम है. यह टकराव विशाल पर्वत श्रृंखला के निर्माण के साथ-साथ भूगर्भीय बदलावों का प्रमुख कारण बना है. हालांकि, वैज्ञानिकों ने यह पाया कि महाद्वीपीय प्लेटें घनी समुद्री प्लेटों की तुलना में अलग व्यवहार करती हैं.
घने मेंटल में धंसने का प्रतिरोध करने वाली महाद्वीपीय प्लेटें, अपनी उत्प्लावकता के कारण, टकराव के दौरान अलग तरीके से प्रतिक्रिया देती हैं. भारतीय प्लेट के मामले में, कुछ हिस्सों का मेंटल में धंसना और ऊपरी परत का उखड़ना संभावित विभाजन का संकेत देता है.
भूकंप तरंगों और गैसों ने खोला रहस्य
तिब्बत के नीचे से गुजरने वाली भूकंप तरंगों और झरनों में पाई गई विशिष्ट गैसों का अध्ययन, प्लेटों के विभाजन के नए साक्ष्य प्रदान करता है. वैज्ञानिकों ने झरनों में हीलियम-3 और अन्य गैसों की मौजूदगी को विश्लेषित कर यह पाया कि प्लेटों के कुछ हिस्से मेंटल चट्टानों से घिरे हुए हैं.
एक विशेष रेखा के दक्षिण में झरनों में क्रस्टल गैसें देखी गईं, जबकि उत्तर में मेंटल फिंगरप्रिंट मिले. यह संकेत देता है कि भारतीय प्लेट का एक हिस्सा यूरेशियन प्लेट के नीचे खिसकने के दौरान "विघटित" हो रहा है.
प्लेट के विभाजन का साक्ष्य
भूकंपीय तरंगों का विश्लेषण कर वैज्ञानिक भूमिगत संरचनाओं की छवि बनाने में सक्षम हुए. इसमें भारतीय प्लेट के निचले और ऊपरी हिस्से के बीच विभाजन स्पष्ट रूप से देखा गया. इसके अलावा, विखंडित हिस्से के पास एक ऊर्ध्वाधर दरार का भी पता चला, जिससे पता चलता है कि भारतीय प्लेट का एक हिस्सा नीचे धंस रहा है.
भूकंप के खतरों का आकलन
वैज्ञानिकों ने चेताया है कि प्लेटों के टूटने और विघटन से तनाव निर्माण पर प्रभाव पड़ सकता है, जो भूकंप के जोखिम को बढ़ा सकता है. विशेष रूप से तिब्बती पठार और कोना-सांगरी दरार के पास स्थित क्षेत्र अधिक संवेदनशील हो सकते हैं.
महाद्वीपीय टकरावों का अध्ययन
महाद्वीपीय टकरावों का अध्ययन हमारे भूगर्भीय इतिहास को समझने का एक जटिल लेकिन रोमांचक अवसर है. यह न केवल पृथ्वी के अतीत को उजागर करता है बल्कि भूकंप और अन्य भूगर्भीय खतरों का आकलन करने में भी सहायक हो सकता है.
Disclaimer: ये आर्टिकल मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.