क्या आसमान से समंदर का रंग नीला होता है? जानिए इसके पीछे का सच!

समंदर का नीला रंग सूर्य की रोशनी के पानी में प्रवेश करने और फैलने की प्रक्रिया के कारण होता है. जब सूर्य की सफेद रोशनी पानी की सतह पर पड़ती है, तो पानी के अणु रंगों को अवशोषित करने के बजाय नीले रंग की तरंगों को फैलाते हैं. यह प्रक्रिया ‘राइली स्कैटरिंग’ कहलाती है, जिससे नीला रंग अधिक दृष्टिगोचर होता है. यही कारण है कि हमें समंदर का रंग नीला दिखाई देता है.

Dimple Yadav
Edited By: Dimple Yadav

समंदर का नीला रंग हमेशा से मनुष्य के लिए एक आकर्षण का कारण रहा है. अक्सर यह समझा जाता है कि समंदर का नीला रंग केवल आसमान के रंग के कारण होता है. लेकिन क्या यह सच है, या इसके पीछे कुछ और गहरा रहस्य छिपा है? आइए, समंदर के नीले रंग को समझने की कोशिश करते हैं.

समंदर का नीला रंग असल में पानी के गुणों की वजह से होता है. पानी में आकाश के रंग का कोई विशेष प्रभाव नहीं होता है. दरअसल, जब सूरज की रोशनी पानी में प्रवेश करती है, तो उसका अधिकतर हिस्सा पानी में घुल जाता है, लेकिन नीली तरंगों की लंबाई के कारण वह ज्यादा फैलती है और समंदर को नीला बना देती है.

नीली रोशनी का फैलाव

समंदर के पानी में हर रंग की रोशनी घुल जाती है, लेकिन नीली रोशनी की तरंगों की लंबाई ज्यादा होती है, जिससे वे पानी में गहरे स्तर तक फैलती हैं. यही कारण है कि समंदर को नीला दिखाई देता है. इस प्रक्रिया को 'रेली स्कैटरिंग' कहा जाता है, जिसमें नीली रोशनी का प्रसार ज्यादा होता है, और बाकी रंगों की रोशनी सोख ली जाती है.

समंदर की गहराई का असर

समंदर की गहराई भी इसके रंग को प्रभावित करती है. जितना गहरा समंदर होगा, उतना ही उसका रंग नीला होगा. यही कारण है कि उथले पानी में समंदर हल्का या हरा दिखाई दे सकता है, जबकि गहरे पानी में वह गहरा नीला नजर आता है. इस प्रकार, समंदर का नीला रंग पूरी तरह से प्राकृतिक और वैज्ञानिक कारणों पर आधारित है. यह कोई रहस्य नहीं, बल्कि प्रकाश के फैलाव का एक सरल और अद्भुत उदाहरण है.

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22 March 2025, 06:47 PM IST

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