महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने एक विवादित बयान दिया, जिसमें उन्होंने भाजपा और खासकर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस पर जमकर हमला बोला. कन्हैया कुमार ने धर्म को लेकर भाजपा की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा के लोग धर्म को बचाने की बात करते हैं, लेकिन उनका असली ध्यान कहीं और है. उन्होंने मजाक करते हुए कहा, 'हम लोग धर्म बचाएंगे और डिप्टी सीएम फडणवीस की पत्नी रील बनाएंगी.'
'कन्हैया का बयान राजनीति की निचली गली में उतारने जैसा'
कन्हैया कुमार के इस बयान पर विवाद खड़ा हो गया और उनके आलोचकों ने इसे राजनीति का स्तर गिराने वाला बताया. खासतौर पर, उन्होंने देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस को निशाना बनाया, जो सोशल मीडिया पर अपने रील्स और वीडियो के लिए मशहूर हैं. कन्हैया के इस बयान को लेकर भाजपा नेता और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कन्हैया कुमार के बयान को पूरी तरह से असंवेदनशील और अपमानजनक बताया और कहा कि इस तरह के बयान नफरत फैलाने वाले होते हैं.
क्या राजनीति में धर्म का ऐसा इस्तेमाल उचित है?
इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर भी खासी चर्चा हुई. देवेंद्र फडणवीस ने कन्हैया कुमार को जवाब देते हुए कहा कि उनका बयान केवल चुनावी राजनीति का हिस्सा था, जो केवल आरोप लगाने के लिए दिया गया था. वहीं, कांग्रेस पार्टी ने भी कन्हैया कुमार के बयान का बचाव करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक टिप्पणी थी और इससे राजनीति का स्तर गिराने का कोई उद्देश्य नहीं था.
अब, इस बयान के बाद विवाद और बढ़ता नजर आ रहा है. कन्हैया कुमार का बयान भाजपा नेताओं को बहुत चुभा है, जबकि विपक्ष इसे भाजपा की नीतियों पर एक सटीक हमला मान रहा है. खासकर, समाज में धर्म और राजनीति के बीच बढ़ती खाई को लेकर कन्हैया ने अपनी बात रखी.
भक्तों तुम धर्म बचाओ, और फडणवीस की पत्नी रील बनाएंगी!
इसी बीच, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी कन्हैया कुमार के बयान को लेकर ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने कहा, 'भक्तों तुम धर्म बचाओ और रील बनाओ, भाजपाई नेता देवेंद्र फडणवीस की पत्नी रियल बनायेंगी और अमित शाह के बच्चे क्रिकेट बोर्ड चलायेंगे!' यह ट्वीट भी चर्चा का विषय बना और सियासी गलियारों में हलचल मच गई.
इस विवाद के बीच यह सवाल उठता है कि क्या इस तरह के बयान राजनीति में घटिया स्तर तक पहुंचे हुए हैं? क्या धर्म और व्यक्तिगत जीवन के मामलों पर इस तरह की टिप्पणियां उचित हैं? यह सवाल भविष्य में होने वाले चुनावी प्रचार में और भी ज्यादा गंभीर हो सकता है. First Updated : Saturday, 16 November 2024