Kante Wale Baba: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में आस्था और साधना के अनोखे रूप हर ओर देखने को मिल रहे हैं. जहां एक ओर साधुओं और संतों की विविध साधनाओं ने श्रद्धालुओं का ध्यान खींचा है, वहीं दूसरी ओर 'कांटे वाले बाबा' भी इन दिनों चर्चा में हैं. उनका असली नाम रमेश कुमार मांझी है, लेकिन उनके साधना के अनोखे तरीके ने उन्हें यह नाम दिलाया. कांटों पर लेटने की उनकी यह साधना उन्हें न केवल विशिष्ट बनाती है बल्कि भक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र भी है.
प्रयागराज के महाकुंभ में रमेश कुमार मांझी, जिन्हें 'कांटे वाले बाबा' कहा जाता है, पिछले 50 सालों से कांटों पर तपस्या कर रहे हैं. बाबा का कहना है कि यह सब भगवान की कृपा और गुरु का आशीर्वाद है, जो उन्हें इस साधना में सक्षम बनाता है.
महाकुंभ में जुटे करोड़ों श्रद्धालुओं के बीच 'कांटे वाले बाबा' का कांटों पर साधना करना उनकी पहचान का मुख्य आधार है. बाबा बताते हैं, "मैं गुरु की सेवा करता हूं. गुरु ने हमें ज्ञान और ताकत दी है. यह सब भगवान की महिमा है, जो मुझे ऐसा करने में मदद करती है. मैं पिछले 40-50 सालों से यह साधना कर रहा हूं. इससे मुझे कोई तकलीफ नहीं होती, बल्कि फायदा होता है."
'कांटे वाले बाबा' केवल प्रयागराज के महाकुंभ तक सीमित नहीं हैं. वे उज्जैन, हरिद्वार, नासिक और गंगासागर जैसे प्रमुख धार्मिक मेलों में भी अपनी साधना का प्रदर्शन करते हैं. उनका कहना है कि कांटों पर लेटने से न केवल उनका शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि यह उनके लिए एक दिव्य अनुभव भी है.
बाबा ने बताया कि उन्हें प्रतिदिन लगभग 1000 रुपये की दक्षिणा मिलती है. वे कहते हैं, "मुझे जो भी दक्षिणा मिलती है, उसका आधा हिस्सा मैं जन्माष्टमी जैसे पर्वों में दान कर देता हूं और बाकी का उपयोग अपने दैनिक खर्चों को पूरा करने में करता हूं."
महाकुंभ के अन्य अनोखे साधुओं जैसे स्प्लेंडर बाबा और IITian बाबा के बीच, 'कांटे वाले बाबा' अपने अलग अंदाज और आस्था के चलते इंटरनेट पर भी तेजी से वायरल हो रहे हैं. उनकी साधना देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंच रहे हैं और उनकी निष्ठा को सराह रहे हैं. First Updated : Thursday, 16 January 2025