कोबरा को क्यों कहा जाता है 'किंग'? जानिए इसका खौफ!
किंग कोबरा को धरती के सबसे रहस्यमयी और खतरनाक सांपों में गिना जाता है. इसके नाम में 'किंग' सिर्फ यूं ही नहीं जुड़ा है. इसका खौफनाक स्वभाव, विशाल शरीर और अन्य सांपों को शिकार बनाने की क्षमता इसे सांपों की दुनिया का बादशाह बनाती है.

कोबरा और किंग कोबरा दो अलग-अलग प्रजातियां हैं. सामान्य कोबरा (Naja प्रजाति) अपने फन और विष के लिए प्रसिद्ध है, जबकि किंग कोबरा (Ophiophagus hannah) उससे कहीं अधिक जहरीला और बड़ा होता है. यह एक अलग जीनस से संबंध रखता है और इसका नाम 'Ophiophagus' यानी 'सांप खाने वाला' इसकी शिकार प्रवृत्ति को दर्शाता है.
किंग कोबरा का न्यूरोटॉक्सिक जहर इतना शक्तिशाली होता है कि यह एक बार में इतना जहर छोड़ सकता है जिससे एक हाथी भी मौत का शिकार हो सकता है. यह अपने शिकार को लकवाग्रस्त कर देता है और फिर निगल जाता है.
किंग कोबरा और कोबरा विभिन्नताएं
आकार की बात करें तो यह दुनिया का सबसे लंबा विषैला सांप है, जिसकी लंबाई 18 फीट तक हो सकती है और वजन करीब 6 किलो तक पहुंच सकता है. इसका फन पारंपरिक कोबरा से थोड़ा अलग, पतला और लंबा होता है. जब इसे खतरा महसूस होता है, तो यह अपना शरीर उठाकर एक डरावनी मुद्रा में आ जाता है और जोरदार फुफकार के साथ गरज जैसी आवाज निकालता है.
अन्य सांपों को खाता है किंग कोबरा
किंग कोबरा मुख्य रूप से अन्य सांपों को खाता है, लेकिन कभी-कभी चूहे, पक्षी और छिपकलियां भी इसकी शिकार बनती हैं. यह अपनी तेज सूंघने और देखने की क्षमता से शिकार को ढूंढता है. दुनिया में यही एकमात्र सांप है जो घोंसला बनाता है. मादा किंग कोबरा पत्तियों से घोंसला बनाकर अपने अंडों की रक्षा करती है और इस दौरान बेहद आक्रामक हो जाती है. भारत, थाईलैंड, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों के जंगलों में पाए जाने वाला यह सांप पारिस्थितिकी तंत्र में अहम भूमिका निभाता है. भारत में इसे धार्मिक रूप से भी सम्मान दिया जाता है, खासकर नाग पंचमी के अवसर पर.


