एक ऐसी दरगाह जहां लकड़ी के कुल्हाड़े और झूले रखकर जाते हैं लोग, जानिए क्यों
हिंदुस्तान हो या फिर कोई और देश हर जगह दरगाहों के पीछे कोई ना कोई कहानी होती है. आज हम आपको एक दरगाह के पीछे की हैरान कर देने वाली कहानी बताने जा रहे हैं.
दुनियाभर में कई दरगाहें मौजूद हैं. उनको मानने वाले लोग वहां जाते हैं और अपनी श्रद्धा के मुताबिक अमल अंजाम देते हैं. कुछ लोग चादर चढ़ाकर आते हैं तो कुछ लोग प्रसाद के तौर पर खाने-पीने का सामान रखकर आते हैं. इन्हीं में से कुछ की कहानी बेहद रोचक और हैरान कर देने वाली होती है. आज हम आपको एक ऐसी ही दरगाह की हैरान करने वाली घटना के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर लोग अपनी मुराद पूरी करने के लिए कुल्हाड़े और झूले रखकर आते हैं.
घने जंगल में मौजूद है दरगाह
डॉन न्यूज के लिए लिखने वाले खालिद कुम्हार ने इस दरगाह का दौरा किया और वहां की हैरान कर देने वाली कहानी को पब्लिश किया. वो बताते हैं हम जैसे ही इलाके में दाखिल होते हैं तो हमारे चारों तरफ अनगिनत दरख्त और कब्रें मौजूद थीं. इन्हीं, कब्रों और दरख्तों को बीच से एक बगडंडी जाती है जो इस मशहूर दरगाह तक ले जाती है. इस इलाके के लोग इस दरगाह को कुल्हाड़े वाले पीर की दरगाह के नाम से जानते हैं.
कुल्हाड़े और झूले रखकर जाते हैं लोग
इस दरगाह पर की रखवाली करने वाला एक शख्स वहां पर मौजूद रहता है. जिसको देखकर लगता है कि उसने एक लंबे अरसे से नहाना-धोना बंद कर दिया है. दरगाह के करीब ही एक छायादार दर्खत मौजूद है. जिसके नीचे बड़ी तादाद में लकड़ी के कुल्हाड़े मौजूद हैं. सभी कुल्हाड़ों का साइज अलग-अलग था. इसके अलावा कब्र से थोड़ी दूरी पर कुछ छोटे-छोटे झूले भी मौजूद थे.
क्या मन्नत लेकर आते हैं भक्त
लेखक ने जब इस सिलसिले में दरगाह की रखवाली करने वाले शख्स से बात की तो उसने बताया कि जब लोग पहली बार यहां आते हैं तो कुछ मन्नत लेकर आते हैं, वापस जाते वक्त कुल्हाड़ियों के ढेर में से एक कुल्हाड़ी अपने साथ ले जाते हैं और फिर जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है तो उसी कुल्हाड़ी की तरह एक और कुल्हाड़ी लेकर आते हैं. इस तरह वे यहां दो कुल्हाड़ियां छोड़ जाते हैं. वे इन कुल्हाड़ियों को दरवेश की कब्र के ऊपर रखते हैं. फिर हम उन कुल्हाड़ियों को वहां से ले जाते हैं और इस ढेर पर रख देते हैं. उन्होंने बताया कि ज्यादातर लोग यहां औलाद की ख्वाहिश पूरी करने के लिए आते हैं.
कौन हैं कुल्हाड़े वाले बाबा जिन्हें 7 बार मारा गया
कब्र में दफ्न दरवेश के बारे में उन्होंने बताया कि इन वली का नाम महमूद शाह है. पहले यहां बोदलू जनजाति के लोग रहते थे. उनकी एक नजदीक में ही मौजूद एक तालाब से पानी भरती थी. इन दरवेश ने उस लड़की को अपनी बहन बनाया हुआ था लेकिन कबीले के लोगों को कुछ और शक हुआ और उन्होंने गुस्से में आकर दरवेश की कुल्हाड़ियों से हत्या कर दी, लाश के टुकड़े-टुकड़े कर नदी में फेंक दिये. लेकिन हैरानी की बात है कि वो महमूद शाह जिंदा हो गए. कबीले के लोगों ने उन्हें 7 बार कत्ल किया और वो हर बार जिंदा हो जाते थे.
बाबा ने खुद बनाई कुल्हाड़ी
आखिर में खुद महमूद शाह ने एक लकड़ी की कुल्हाड़ी बनाई और लोहार के पास गए जाकर कहा कि इस कुल्हाड़ी की धार तेज कर दीजिए. लोहार ये सुनकर हैरान रह गया और बोला कि साहब ये तो लकड़ी की कुल्हाड़ी है जल जाएगी. इसके बाद महमूद शाह ने कहा कि यह नहीं जलेगी, इसकी धार तेज करो. इसके बाद लोहार ने लकड़ी की कुल्हाड़ी आग में डाली लेकिन वह नहीं जली, तब महमूद शाह ने वही कुल्हाड़ी लाकर कबीले के लोगों को दी और कहा कि अगर तुम मुझे इससे कुल्हाड़ी से मारोगे तो मैं मर जाऊंगा. फिर उसी लकड़ी की कुल्हाड़ी से महमूद शाह का कत्ल कर दिया.
तबाह हो गया पूरा कबीला
उन्होंने आगे बताया कि इस घटना के बाद यहां का पूरा शहर ही तबाह हो गया और अब उस कबीले के लोग यहां पर नहीं रहते ना ही वो इस दरगाह पर आते हैं. बता दें कि महमूद शाह के नाम पर यहां 32 एकड़ जमीन है. यह दरगाह पाकिस्तान के सिंध राज्य के मोरी शहर से 10 मील दूर है.