AI use in exam: सोनीपत स्थित ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के एक लॉ स्टूडेंट ने एआई की मदद से असाइनमेंट तैयार करने के चलते परीक्षा में फेल किए जाने पर विश्वविद्यालय के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. छात्र का कहना है कि विश्वविद्यालय ने एआई के उपयोग पर स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिए थे, जबकि एआई का इस्तेमाल आजकल शैक्षणिक कार्यों में आम हो रहा है.
इस केस में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. यह मामला शिक्षा में एआई के इस्तेमाल के संबंध में एक मिसाल स्थापित कर सकता है. मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को होनी है.
एलएलएम के छात्र कौस्तुभ शक्करवार, जो "बौद्धिक संपदा और प्रौद्योगिकी कानून" में मास्टर्स कर रहे हैं, का आरोप है कि एआई की मदद से जवाब देने के कारण उन्हें परीक्षा में फेल कर दिया गया. उसने परीक्षा के लिए एआई का सहारा लिया था, जिससे 88% उत्तर एआई जनरेटेड पाए गए. इसके चलते विश्वविद्यालय की अनुचित साधन समिति ने 25 जून को उसे फेल कर दिया.
कौस्तुभ शक्करवार का तर्क है कि विश्वविद्यालय ने परीक्षा में एआई के उपयोग को लेकर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश निर्धारित नहीं किए थे. उनकी याचिका में कहा गया है कि एआई की मदद लेना साहित्यिक चोरी नहीं है. उसका दावा है कि उसके उत्तर उसके खुद के विचारों पर आधारित थे, और वे समझ के साथ लिखे गए थे.
कौस्तुभ शक्करवार का कहना है कि एआई को एक सहायक उपकरण के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि मानव रचनात्मकता के विकल्प के रूप में. उसने भारतीय कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 2(डी)(vi) का हवाला दिया, जो पुष्टि करता है कि अगर एआई किसी कार्य को बनाने में सहायक है, तो भी उसके लेखक मानव उपयोगकर्ता ही होंगे. उन्होंने न्यायालय से यह आग्रह किया कि एआई के उपयोग के बावजूद व्यक्ति को लेखक के रूप में श्रेय दिया जाना चाहिए. First Updated : Tuesday, 05 November 2024