Nepal Period Custom: नेपाल की चौपाड़ी प्रथा या मर्चा प्रथा एक पुरानी रीति है जो कुछ जगहों में अभी भी अपनी स्थिति बनाए हुए है. इस प्रथा के अनुसार, जब एक लड़की पबर्ती में यानी पीरियड्स के समय में होती है, तब वह सांसरिक और सामाजिक समुदाय के सामग्री के साथ अलग होती है. यह आमतौर पर एक बहुसंख्यक नेपाली परिवार की गरिमा, मान्यता और पारम्परिक मानोयोग्यता का प्रतीक माना जाता है.
चौपाड़ी प्रथा में, जब एक लड़की पीरियड्स में होती है, तब वह अपने घर से दूर इकट्ठा हुई लड़कियों के साथ अलग होती है. इन लड़कियों को उनके घर और समाज से अलग रखने के लिए एकलिंगी या चौपाड़ी में बसाया जाता है. चौपाड़ी में रखें गए लड़कियों को सोता जलाने, स्पर्श नहीं करने, संगीत नहीं सुनने, पूजा में हिस्सा नहीं लेने, भगवान की मुर्ती न छूने और संगठित खाद्य नहीं खाने की सीमाएं लगाई जाती हैं. वे आपना खाने का गुजारा बगीचे से मिले कुछ भी चीजों से करती हैं. पीरियड्स को वहां के लोग अशुद्ध मानते है. उनका मानना है यदि वह पीरियड्स के दौरान किसी पेड़ को हाथ लगाएंगी तो वह पेड़ फल देना बंद कर देगा.
हालांकि, यह प्रथा मुख्य रूप से गिरोही सामाजिक और संस्कृतिक प्रथाओं का हिस्सा है और आधिकारिक तौर पर इसे अवैध घोषित नहीं किया गया है. यह प्रथा महिलाओं को मानसिक तनाव, समाजिक अलगाव, रोग, और गंभीरता के साथ खुद को रोकने के लिए मजबूर कर सकती है.
इसके अलावा, देश के कई हिस्सों में स्वयंसेवी संगठन और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा इस प्रथा के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. वे लड़कियों के लिए सामाजिक और तांत्रिक सरकारी सुविधाओं की मांग करते हैं और इस प्रथा के खिलाफ जागरूकता फैलाने के प्रयास करते हैं.
चौपाड़ी प्रथा एक विवादास्पद मुद्दा है और इसे जागरूकता, शिक्षा, और मानवाधिकारों के माध्यम से समाप्त करने की आवश्यकता है. सामुदायिक संगठनों, सरकारी अधिकारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और अन्य संगठनों को इस अनुपस्थिति को आंतरिक परिवर्तन के माध्यम से दूर करने, शिक्षा और बोझ के कम होने के लिए उपस्थिति बढ़ाने और युवा महिलाओं को इस प्रथा के विरुद्ध बोलने और लड़ने का साथ देने के लिए मदद करने की आवश्यकता है.
First Updated : Sunday, 27 August 2023