मकर संक्रांति पर यहां लगता है 'आशिकी का मेला, प्रेमियों का उमड़ता सैलाब, 600 साल पुराना है इतिहास

मकर संक्रांति का त्योहार आने में बस कुछ दिन ही बचे हैं. यह त्योहार सामाजिक मेलजोल और आनंद का पर्व है जिसे लोग खुशी से सेलिब्रेट करते हैं. इस दिन कई जगह मेला का आयोजन किया जाता है. इस बीच आज हम आपको एक खास मेला के बारे में बताने जा रहे हैं जो मकर संक्रांति के दिन लगता है. यह मेला आशिकों का मेला है जहां प्रेमी जोड़े की मन्नत पूरी होती है.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

मकर संक्रांति, हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है. यह त्योहार हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है. यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है और हर साल जनवरी महीने में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 को मनाई जाएगी. इस बीच आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आशिको की मेला लगती है. कहा जाता है कि यहां कोई मन्नत मांगने से पूरा हो जाता है. तो चलिए इस जगह के बारे में जानते हैं.

दरअसल, मकर संक्रांति पर उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में 'आशिकों का मेला' लगता है. यह मेला भूरागढ़ किले में आयोजित होता है, जो प्रेम और त्याग की एक अनोखी कहानी को समर्पित है. यहां हर साल प्रेमी जोड़े पहुंचते हैं, दीवारों पर अपना नाम लिखते हैं और मन्नतें मांगते हैं.

भूरागढ़ किले की अनोखी प्रेम कहानी  

भूरागढ़ किला लगभग 600 साल पुराना है. यह किला प्रेम, त्याग और विश्वास का प्रतीक है. इस किले से जुड़ी कहानी एक नट और किलेदार की बेटी सुनलिका की प्रेम कहानी पर आधारित है. कहा जाता है कि नट और सुनलिका एक-दूसरे से बेहद प्यार करते थे. जब सुनलिका ने अपने पिता से शादी की बात की, तो उन्होंने नट के लिए एक चुनौती रखी.

नट के लिए रखी गई थी चुनौती  

किलेदार ने शर्त रखी कि अगर नट सूत की रस्सी पर चलकर नदी पार करेगा, तो वह अपनी बेटी की शादी उससे कर देंगे. नट ने यह चुनौती स्वीकार की और मकर संक्रांति के दिन रस्सी पर चलना शुरू किया. लेकिन जैसे ही नट आधी नदी पार कर चुका था, किलेदार ने रस्सी काट दी. नट नदी में गिरकर मारा गया.  

प्रेमियों की पूरी होती हैं मन्नतें

नट और सुनलिका की याद में किले के पास एक मंदिर बनवाया गया. हर मकर संक्रांति पर यहां प्रेमी जोड़े आते हैं, अपनी मन्नतें मांगते हैं और दीवारों पर अपना नाम लिखते हैं. उनकी मान्यता है कि यहां मांगी गई मन्नतें जरूर पूरी होती हैं. यह मेला नट और सुनलिका की प्रेम कहानी की याद में आयोजित होता है. प्रेमी जोड़े यहां आकर मन्नतें मांगते हैं और अपनी प्रेम कहानी को यादगार बनाने के लिए दीवारों पर नाम लिखते हैं. 

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10 January 2025, 02:34 PM IST

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