'35 अविवाहित लड़कियां बनीं गर्भवती? वाराणसी में हुई एक बड़ी गलती, जानिए सच्चाई!'

वाराणसी के रमना गांव में 35 से ज्यादा अविवाहित लड़कियों के नाम गर्भवती महिला के तौर पर पंजीकृत हो गए थे. यह मामला तब सामने आया जब लड़कियों को गर्भवती होने का मैसेज मिला. जांच में पता चला कि यह गलती विभागीय लापरवाही की वजह से हुई थी, जिसमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने फॉर्मों को गलत तरीके से मिला दिया था. अब विभाग ने इस पर कार्रवाई शुरू कर दी है. जानिए कैसे एक छोटी सी गलती ने हड़कंप मचा दिया!

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Edited By: Aprajita

Viral News: आधुनिक युग में महिलाओं और लड़कियों ने अपनी पहचान बनाई है और वे आत्मनिर्भर बन चुकी हैं. लेकिन कुछ घटनाएं यह साबित करती हैं कि समाज और सरकारी विभागों में लापरवाही की वजह से समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला मामला वाराणसी के रमना गांव से सामने आया है, जहां 35 से ज्यादा अविवाहित लड़कियों के नाम गर्भवती महिलाओं के तौर पर पंजीकृत हो गए थे.

किसी गलती से हुआ बड़ा विवाद

यह मामला दिवाली के आसपास सामने आया, जब रमना गांव की लड़कियों को उनके मोबाइल फोन पर एक संदेश मिला, जिसमें उनका नाम गर्भवती महिला के रूप में पंजीकृत किया गया था. इस मैसेज के बाद गांव में हड़कंप मच गया. इस गलती को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह था कि कैसे इतनी बड़ी संख्या में लड़कियों को गर्भवती के रूप में पंजीकृत किया गया, जबकि वह सभी अविवाहित थीं.

मुख्य विकास अधिकारी ने क्या कहा?

इस मामले पर जब  वाराणसी के मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह मामला दिवाली से पहले सामने आया. उन्हें यह जानकारी एक मोबाइल मैसेज के जरिए मिली थी, जिसमें कहा गया था कि कुछ लड़कियों को गर्भवती महिला के रूप में पंजीकृत किया गया है. विभाग ने तुरंत मामले की जांच की और पता चला कि यह गलती आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से हुई थी. दरअसल, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एक योजना के तहत घर-घर जाकर ग्रामीण परिवारों से आधार कार्ड और फॉर्म इकट्ठा कर रहे थे.

आधार कार्ड से हुई गलती

जब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता फॉर्म एकत्र कर रहे थे, तब कुछ गलती से दो फॉर्म मिल गए थे, जिनमें एक फॉर्म में गर्भवती महिला का रजिस्ट्रेशन था और दूसरे में किशोरी का. उसी आधार नंबर के साथ इन दोनों फॉर्मों को मिला दिया गया और उसी आधार पर लड़कियों को गर्भवती महिला के रूप में पंजीकृत कर दिया गया. इसके बाद उन लड़कियों को मैसेज भेजा गया.

मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई

इस गलती के बारे में जानकारी मिलने के बाद, विभाग ने तुरंत उस डेटा को डिलीट कर दिया और जिम्मेदार कर्मचारियों को नोटिस जारी किया. हिमांशु नागपाल ने इसे एक मानवीय भूल बताया और कहा कि इस पर जल्दी ही सुधार किया गया है.

अंत में क्या हुआ?

हालांकि यह मामला विभागीय लापरवाही का एक उदाहरण था, लेकिन मामले को लेकर अब तक कोई गंभीर आरोप सामने नहीं आए हैं. इस पूरे घटनाक्रम से यह सवाल उठता है कि क्या सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में और सावधानी बरतने की आवश्यकता नहीं है? इस घटना ने यह भी साबित किया कि कभी-कभी एक छोटी सी गलती भी बड़ा विवाद खड़ा कर सकती है और सही तरीके से काम करने की जरूरत है, ताकि ऐसी गलतफहमियां न हों.

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10 December 2024, 06:27 PM IST

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