भारत में कई तवायफ ऐसी रही हैं जिनका नाम इतिहास के पन्नों पर बड़े इज्जत के साथ दर्ज है. आज हम आपको इलाहाबाद की एक ऐसी तवायफ के बारे में बताने जा रहे हैं जो पर्दे में रहकर मुजरा करती थी. पर्दे के अंदर से जब वो गाना गाती थी तो सभी उसके आवाज के दिवाने हो जाते थे. इस तवायफ को छप्पन छुरी के नाम से मशहूर थी लेकिन इसका असल नाम जानकी बाई थी. तो चलिए इस छप्पन छुरी के बारे में दिलस्प बाते जानते हैं.
दरअसल,जानकी बाई का जन्म के बाद उनके पिता पहलवान सिंह ने उनकी मां मानकी देवी को छोड़ दिया. इसके बाद उनकी हालत बहुत खराब हो गई और फिर उन्हें कोठे पर बेच दिया गया. जानकी की मां उसे कोठे पर लेकर आ गई और फिर वहां की जिंदगी में ऐसी रमीं की बहुत जल्द कोठे की मालकिन बन गई. जानकी भी कोठे के रंग में पूरी तरह रम गई. जानकी बेहद खूबसूरती थी जो अपने आवाज से जादू चलाने में माहिर थी.
जब वह 12 साल की थी तब उनपर एक पुलिस कांस्टेबल रघुनंदन का दिल आ गया. कांस्टेबल ने उन्हें प्रेम का प्रस्ताव भेजा लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया. फिर उसने यौन संबंध भी बनाना चाहा लेकिन उसमें भी नाकाम रहे. उसके बाद उसने गुस्से में जानकी के पूरे शरीर पर घाव घाव करता चला गया. इसके बाद जानकी की हालत इतनी गंभीर हो गई कि बचने का कोई आसार नहीं था. ईलाज के बाद वो बच तो गई लेकिन उसकी सुंदरता नहीं बची. उन पर छूरी से 56 घाव किए गए थे जिसके बाद से ही उनका नाम छप्पन छुरी पड़ गया.
कांस्टेबल के दिए 56 घाव ने उसकी सूरत पर बदसूरत के घाव कर दिए. उनका घाव वाला चेहरा कोई देख न ले इसकी वजह से वो हमेशा पर्दे के पीछे से गाना गाती और मुजरा करती थी. जानकी बाई जहां भी जाती थी वहां छा जाती थी. हर तरफ उनकी आवाज और उसका अंदाज लोगों को दिवाना बना देता था. लोग उन्हें एक तरफा प्यार करते थे क्योंकि जब वह गाती थी थी तो उनकी आवाज सुध-बुध छीन लेती थी.
बता दें कि, जानकी बाई अपने जमाने की मशहूर तवायफ थी जिनकी तारीफ मल्लिका जान गौहर खान भी करती थी. कहा जाता है कि जानकी बाई की आवाज सुनकर एक प्रशंसक इतना मंत्रमुग्ध हो गया कि, उसने सारी संपत्ती उसपे लूटा दी. 19 सदी में जानकी बाई ने 100 से ज़्यादा गीतों और गजलों को रिकॉर्ड किया था.
First Updated : Tuesday, 21 May 2024