दुनिया का सबसे अनोखा और पवित्र... 280 किलो सोने का दरवाजा, जिसकी कहानी अब भी अनजानी!
मक्का में स्थित काबा दुनिया भर के मुसलमानों के लिए बेहद पवित्र है, लेकिन क्या आपको पता है कि इसके दरवाजे का इतिहास भी उतना ही रहस्यमय और दिलचस्प है? लकड़ी से शुरू हुआ यह सफर 280 किलो शुद्ध सोने तक कैसे पहुंचा? किस राजा ने इसे पहली बार बनवाया और आखिर इसका डिजाइन कितनी बार बदला गया? इस दरवाजे के पीछे छिपी हजारों साल पुरानी कहानी जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे! पूरा सच जानने के लिए खबर पढ़ें...

Untold Story of Kaaba: सऊदी अरब के मक्का शहर में स्थित काबा दुनिया भर के मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक है. हर साल लाखों लोग इसे देखने और इसकी दीवार को छूने के लिए आते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि काबा का दरवाजा भी अपने आप में एक ऐतिहासिक धरोहर है? मौजूदा दरवाजा 280 किलोग्राम सोने से बना हुआ है, लेकिन क्या हमेशा ऐसा था? आइए जानते हैं काबा के दरवाजे की दिलचस्प कहानी.
पहले कैसा था काबा का दरवाजा?
इतिहासकारों के मुताबिक, जब हज़रत इब्राहिम ने करीब 5,000 साल पहले काबा का निर्माण करवाया था, तब इसमें कोई दरवाजा या छत नहीं थी, सिर्फ दीवारें थीं. इसके बाद सबसे पहला दरवाजा राजा तुब्बा के शासन में बनाया गया. उन्होंने ही सबसे पहले काबा को ढकने और इसे संरक्षित करने का काम किया. यह दरवाजा लकड़ी का था और इस्लाम के शुरुआती दिनों तक बना रहा.
समय के साथ होता रहा बदलाव
समय के साथ काबा के दरवाजे में कई बदलाव किए गए. इस्लाम के शुरुआती वर्षों में अब्दुल्ला इब्न अल-जुबैर ने पुराने दरवाजे को हटाकर एक नया और बड़ा दरवाजा बनवाया. बाद में 1045 हिजरी में मुराद चतुर्थ के दौर में इसमें 200 पाउंड चांदी लगाई गई और इसे सोने का पानी चढ़ाया गया.
आधुनिक समय का सबसे कीमती दरवाजा
आज जो काबा का दरवाजा है, वह सऊदी अरब के राजा खालिद बिन अब्दुल अज़ीज़ के आदेश पर बनाया गया था. इसे प्रसिद्ध जौहरी अहमद बिन इब्राहिम बद्र ने तैयार किया. इस दरवाजे में करीब 280 किलोग्राम शुद्ध सोना लगा है और इसकी कुल लागत 13,420,000 सऊदी रियाल थी. इसका निर्माण 1398 हिजरी में शुरू हुआ और इसे पूरा होने में 12 महीने लगे.
दुनिया के सामने ऐतिहासिक धरोहर
पुराने दरवाजों को सऊदी अरब की ऐतिहासिक धरोहर माना जाता है. इन्हें कई संग्रहालयों में रखा गया है, ताकि दुनिया काबा के इतिहास को जान सके. काबा का सबसे पुराना दरवाजा अबू धाबी के लौवर संग्रहालय में एक दुर्लभ कलाकृति के रूप में प्रदर्शित किया गया है.
काबा का दरवाजा सिर्फ सोने का ही नहीं, आस्था का प्रतीक भी
काबा का यह दरवाजा सिर्फ अपनी भव्यता और सोने की वजह से खास नहीं है, बल्कि यह मुस्लिम आस्था का एक मजबूत प्रतीक भी है. हज और उमराह करने वाले हर शख्स की यह तमन्ना होती है कि वह इस दरवाजे के करीब जाकर अपनी दुआ मांग सके. इतिहास और आस्था से जुड़ी इस अनोखी कहानी को जानकर, क्या आप भी काबा के इस पवित्र दरवाजे को देखने की ख्वाहिश रखते हैं?