अंग्रेजों की लूट ने रोकी भारत की समृद्धि, आज कुछ और होता दुनिया का नक्शा?
भारत के इतिहास में अंग्रेजों के औपनिवेशिक शासन ने न केवल सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से देश को कमजोर किया, बल्कि आर्थिक रूप से भी इसका भारी नुकसान हुआ. अगर अंग्रेजों ने भारत से लूटना नहीं किया होता, तो आज भारत दुनिया की सबसे अमीर और समृद्ध राष्ट्रों में से एक होता.

भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता मिलने के बाद, भारतीय अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा नुकसान हुआ. ब्रिटिश राज के दौरान, भारत से निरंतर संसाधनों की लूट और शोषण ने भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोर किया, जबकि ब्रिटेन और अन्य पश्चिमी देशों का समृद्धि की ओर रुख बढ़ता गया. यदि भारत पर ब्रिटिश शासन का बोझ नहीं होता, तो आज भारत शायद एक विकसित और समृद्ध राष्ट्र होता, जिसका आर्थिक परिदृश्य अलग ही होता.
ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान, भारत से औद्योगिक सामग्री, कच्चा माल और कृषि उत्पादों की लूट की जाती रही. इसके परिणामस्वरूप भारत की अर्थव्यवस्था लगातार कमजोर होती गई. ब्रिटिश औपनिवेशिक नीति के तहत भारत को कृषि आधारित अर्थव्यवस्था बनाए रखा गया, जिससे देश के अन्य क्षेत्रों में विकास नहीं हो सका. यदि ब्रिटेन ने भारत के संसाधनों का शोषण नहीं किया होता, तो भारत आज की तारीख में एक प्रमुख आर्थिक शक्ति हो सकता था.
क्या होता अगर ब्रिटिश साम्राज्य नहीं होता?
आंकड़े इस बात को साबित करते हैं कि अगर भारत को स्वतंत्रता समय से पहले ही मिल जाती और ब्रिटेन द्वारा लूटा नहीं जाता, तो आज भारत की जीडीपी (GDP) शायद अमेरिका और ब्रिटेन से भी अधिक होती. उदाहरण के लिए, 1700 में भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी, लेकिन ब्रिटिश शासन के बाद इसे भारी नुकसान हुआ. ब्रिटिश शासन ने भारतीयों को औद्योगिक उत्पादन, व्यापार और संसाधनों के विकास में अपनी भागीदारी से वंचित किया, जिससे ब्रिटेन के पास ज्यादा संपत्ति और शक्ति आ गई.
आंकड़े जो हिला देंगे
आंकड़ों के अनुसार, यदि भारत अपनी स्वतंत्रता से पहले ही औद्योगिककरण के रास्ते पर बढ़ता, तो आज उसकी अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो सकती थी. 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत ने कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन धीरे-धीरे आज भारतीय अर्थव्यवस्था एक महत्वपूर्ण स्थान पर पहुंची है. अगर अंग्रेजों ने भारत को शोषण से बचाया होता, तो आज भारत का आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य बेहद अलग होता. भारत की ताकत अब है, लेकिन सोचें अगर यह प्रगति बिना औपनिवेशिक शोषण के होती तो आज दुनिया का चेहरा कितना बदल चुका होता.