मिल गया रहस्यमयी दरवाजा, वर्षों से उगल रहा है आग, हिंदी वालों के लिए नर्क का दरवाजा तो अंग्रेजी वालों के लिए गेट ऑफ हेल

Nark ka Darwaja : जिस नर्क के दरवाजे की बात वर्षों से हो रही है, उसे खोज लिया गया है. जिसें हम नर्क का दरवाजा कहते हैं वह तुर्कमेनिस्तान में हैं.

Tahir Kamran
Edited By: Tahir Kamran

हाइलाइट

  • तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान में है ये नर्क का दरवाजा
  • पिछले कई वर्षों से लगातार उगल रहा है आग

Nark ka Darwaja : मनुष्य मृत्यु के पश्चात या तो स्वर्ग में जाता है या नर्क में. अच्छे कर्म करने वालों को स्वर्ग मिलता है. और बुरे कर्म करने वालों को नर्क मिलता है. ऐसी ही तमाम कहानियां आपने सुनी होंगी. मौत के बाद हमारी आत्म को यमराज पृथ्वी लोक से दूसरे लोक में लेकर जाते हैं. जिसने अच्छे कर्म किए होते हैं यमराज उन्हें स्वर्ग के दरवाजे की ओर ले जाता हैं. वहीं बुरे कर्म वालों को नर्क के दरवाजे लेकर जाता है. ये कहानियां हिंदू धर्म में काफी प्रचलित हैं. हालांकि, अभी तक किसी ने मनुष्य अवतार में ना तो स्वर्ग और ना ही नर्क का दरवाजा देखा है. लेकिन अब नर्क का दरवाजा खोज लिया गया है. पृथ्वी में एक स्थान ऐसा है जिसे नर्क का दरवाजा कहा जाता है. अभी तक ये दरवाजा लोगों के लिए रहस्यमय बना हुआ था. अब इसी को लोग नर्क का दरवाजा कह रहे हैं.

इस देश में है नर्क का दरवाजा

पृथ्वी के एक जगह को हम नर्क का दरवाजा कह रहे हैं, वह जगह तुर्कमेनिस्तान में है. तुर्कमेनिस्तान के अश्गाब शहर से 160 मील दूर स्थित काराकुम रेगिस्तान में विशाल क्रेटर है. और इसी विशाल क्रेटर को दुनिया नर्क का दरवाजा कहती है. विशाल क्रेटर पिछले 50 सालों से लगातार आग की लपटे उगल रहा है. विशाल क्रेटर में आग की लपटों के पास कोई जानें की हिम्मत नहीं करता है. इसकी लपटों के करीब जाने वाला पिघल जायेगा. जैसे आग में सोने को पिघलाया जाता है. ठीक उसी प्रकार नर्क के दरवाजे में जाना वाला पिघल सकता है. 

क्या कहते हैं वैज्ञानिक

जिस गड्ढे को हम नर्क का दरवाजा कह रहे हैं, उसकी चौड़ाई 230 फीट है. इस गड्ढे को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि इस नर्क के गड्ढे में गैस के कारण आग लगी है. यह आग पिछले 50 सालों से जैसी की तैसी बनी हुई है. लगातार यह आग और भी तेज हो रही है. आग उगलते इस गड्ढे को लेकर लोगों में कई भ्रम भी हैं. हालांकि, नर्क को मानने वाले इसे नर्क के दरवाजे की ही संज्ञा दे रहे हैं. 

हिंदी वालों के लिए नर्क का दरवाजा तो अंग्रेजी वालों के लिए गेट ऑफ हेल

तुर्कमेनिस्तान के अश्गाब शहर से 160 मील दूर स्थित काराकुम रेगिस्तान में मौजूद इस विशाल क्रेटर को हिंदी भाषी नर्क के दरवाजे के रूप में देखते हैं. तो वहीं, अग्रेजी वाले इसे गेट ऑफ हेल और माउथ ऑफ हेल कहते हैं. 

दूसरे विश्व युद्ध से जुड़ी है इस नर्क के दरवाजे की कहानी

तुर्कमेनिस्तान में मौजूद इस विशालकाय गड्ढे की कहानी दूसरे विश्व युद्ध से जुड़ी है. बताया जाता है कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सोवियत संघ जब बिखरने लगा था तो  तेल और प्राकृतिक गैस के लिए रेगिस्तान में खुदाई की गई. इस खुदाई में बड़ी मात्रा में प्राकृतिक संसाधन प्राप्त हुए थे. जिस गड्ढे को आज नर्क का दरवाजा कहा जाता है उसमें कभी प्राकृतिक गैस का भंड़ार हुआ करता था. जब इस प्राकृतिक गैस को निकालने की कोशिश की गई थी तो यह गढ्ढ जमीन में धंसता चला गया था और इसी दौरान इसमें आग लग गई थी. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान लगी ये आग आज लोगों में खौफ पैदा कर रही है.

बुरे कर्म वालों को इसी गड्ढे में लेकर जाते हैं यमराज

 इस गड्ढे का नाम सुनते ही लोग सहम जाते हैं. लोगों को लगता है कि बुरे कर्म करके मरने वालों को यमराज इसी दरवाजे से नर्क के रास्ते ले जाते हैं. अब यमराज आत्मा को नर्क के रास्ते ले जाते हैं या नहीं इस बात की जानकारी तो हमें नहीं हैं लेकिन भगवान पर आस्था रखने वाले तो इसी दरवाजे को नर्क का दरवाजा मानते हैं. 

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28 June 2023, 12:53 PM IST

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