मौत ने दी दस्तक, लेकिन.... अंतिम संस्कार के बाद भी वापस लौट आया शख्स, क्या हैं रहस्य?
गुजरात में अहमदाबाद के नरोदा इलाके से एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने सभी को चौंका कर रख दिया हैं. एक महीने से लापता युवक का शव मिलने पर परिवर वालों ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया, लेकिन कुछ दिनों बाद उनका बेटा घर वापस लौट आता हैं.
Missing son mystery: एक बच्चे का जन्म होता है, फिर वो बड़ा होता चला जाता हैं, उसके बाद क्रम इसी प्रकार से आगे चलता रहता हैं. एक पल ऐसा आता हैं जब इंसान को इस दुनिया को अलविदा कहना ही पड़ता हैं. उसके अंतिम संस्कार में शोक की घड़ी के दौरान उसके परिवार और दोस्त सभी लोग मौजूद रहते हैं. श्मशान घाट पर विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार किया जाता हैं. उसी तरह से गुजरात में अहमदाबाद के नरोदा इलाके के रहने वाले लापता युवक का शव मिलने पर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया. लेकिन उसके बाद जो हुआ वो आपको पूरी तरह से हिला देगा.
फिल्म की कहानी से कम नहीं, ये कहानी
दरअसल, गुजरात के मेहसाणा जिले से एक ऐसा मामला सामने आया हैं, जिसने हर किसी को चौंका दिया. ये घटना किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं लग रही. एक महीने से लापता युवक का शव मिलने पर परिवर वालों ने उसे अपने बेटे का शव समझकर अंतिम संस्कार कर दिया. लेकिन जैसे ही बेटे की गद्दी रखी गई, तो वही उनका बेटा घर वापस लौट आता हैं. अब सवाल तो उठ रहा हैं कि आखिर जिसका अंतिम संस्कार किया गया, वो शख्स कौन था.
आर्थिक तंगी के कारण छोड़ा घर
कहानी की शुरुआत कुछ इस तरह हुई कि नरोदा के हंसपुरा इलाके में शिवम रेजीडेंसी में बसे एक बढ़ई परिवार के बेटे ब्रिजेश ने आर्थिक तंगी के चलते 26 अक्टूबर को अपनी मां से 3000 रुपये लेकर अपना घर छोड़ दिया. जाते हुए उसने कहा था कि वो काम पर जा रहा है, लेकिन फिर वापस नहीं लौटेगा. परेशान हो रही मां ने उसे कॉल किया, जिसका उसे कोई जवाब नहीं मिला. बेटे का सुराग ना मिलने पर परिवार ने नरोदा पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई.
शव की कराई गई पहचान
जिसके बाद 4 नवंबर का दिन और सुबह के समय साबरमती नदी में एक अज्ञात युवक का शव मिला. जिसके बाद, पुलिस ने परिवार को 10 नवंबर को शव की पहचान के लिए बुलाया. वहां पर परिजनों ने शव को ब्रिजेश समझकर उसकी पहचान की और बीजापुर ले जाकर अंतिम संस्कार भी किया. परिवार को लगा कि अब उनका बेटा इस दुनिया में नहीं रहा.
कहानी में बड़ा ट्विस्ट
इसी बीच, ब्रिजेश के पास पैसे खत्म हुए तो उसने एक अजनबी का फोन लेकर अपने दोस्त को फोन मिलाया. उसने बताया कि वह हरिद्वार जाकर साधु बनना चाहता है और फिलहाल भुज में अपनी मां के साथ रह रहा है. उसने दोस्त से पैसे उधार मांगे, जिसके बाद उसके दोस्त को शक हुआ. उसी वक्त दोस्त ने यह बात ब्रिजेश के परिवार को बताई. जिसके बाद परिवार ने भुज जाकर अपने बेटे को ढूंढ निकाला. उसे जीवित देखकर परिवार हैरान रह गया और घर में खुशी का माहौल बन गया.
अनसुलझी पहेली
हालांकि, ये पहेली सुलझ नहीं पाई हैं. बड़ा सवाल तो यही खड़ा हो रहा हैं कि जिस शव का अंतिम संस्कार किया, वो शख्स कौन था? जिसपर रिवरफ्रंट वेस्ट पुलिस और नरोदा पुलिस मिलकर इस मामले की गहराई से जांच कर रही हैं.