The Mystery Of Garuda Purana: हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद आत्मा के कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नरक का निर्धारण किया जाता है. जहां एक ओर अच्छे कर्मों वाले व्यक्तियों को स्वर्ग में स्थान मिलता है, वहीं पापी लोगों को नरक में दंड मिलता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बच्चों की आत्माओं को कभी भी नरक नहीं भेजा जाता? वे हमेशा स्वर्ग में ही जाती हैं. गरुड़ पुराण में इसका गहरा रहस्य छिपा हुआ है, जिसे जानकर आपको हैरानी होगी.
क्यों बच्चों की आत्माएं नरक नहीं जातीं?
पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि शास्त्रों में बच्चों की आत्माओं के स्वर्ग में जाने का उल्लेख है. एक विशेष कथा के अनुसार, भगवान विष्णु स्वयं स्वर्ग लोक के द्वार पर आए और वहां उपस्थित बच्चों की आत्माओं से कहा कि वे स्वर्ग में प्रवेश कर सकते हैं. जब बच्चों की आत्माओं ने भगवान से पूछा कि क्या उनके माता-पिता भी उनके साथ स्वर्ग जा सकते हैं, तो भगवान विष्णु ने उन्हें समझाया कि आपके माता-पिता को उनके कर्मों के हिसाब से स्वर्ग या नरक मिलेगा, लेकिन आप भोलेपन के कारण दोषी नहीं होते इसीलिए आप स्वर्ग में जाएंगे.
15 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के बारे में क्या कहता है गरुड़ पुराण?
गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद की घटनाओं का विस्तृत विवरण मिलता है. इसके अनुसार, 15 वर्ष से अधिक आयु वाले लोग अपने अच्छे या बुरे कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नरक में भेजे जाते हैं. लेकिन 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कभी भी नरक में नहीं भेजा जाता. गरुड़ पुराण के मुताबिक, बच्चों की आत्माएं सिर्फ उनकी आयु के आधार पर स्वर्ग लोक जाती हैं. इसका कारण यह है कि छोटे बच्चे भोले होते हैं और उन्हें अच्छे-बुरे कर्मों का ज्ञान नहीं होता. वे कोई पाप नहीं करते और उनकी मासूमियत के कारण भगवान उनके सभी दोष माफ कर देते हैं.
भगवान विष्णु का करुणामय दृष्टिकोण
गरुड़ पुराण में यह भी उल्लेख है कि भगवान विष्णु ने बच्चों के भोलेपन को समझते हुए, उनके माता-पिता के बुरे कर्मों को भी माफ कर दिया. विष्णु जी ने सभी बच्चों के माता-पिता को स्वर्ग लोक में भेज दिया, ताकि वे अपने बच्चों के साथ हमेशा खुशहाल रह सकें. इस कथा से यह संदेश मिलता है कि भगवान की कृपा और बच्चों की मासूमियत हमेशा उन्हें रक्षा देती है, चाहे वे किसी भी परिस्थिति में हों.
बच्चों की मासूमियत और भगवान का आशीर्वाद
यह पूरी कथा यह सिद्ध करती है कि भगवान बच्चों को उनके कर्मों के आधार पर नहीं, बल्कि उनकी मासूमियत और भोलेपन के कारण स्वर्ग में भेजते हैं. उनके लिए स्वर्ग एक स्थान होता है जहां कोई दुख और दर्द नहीं होता, बस शांति और सुख की अनुभूति होती है. इस तरह, बच्चों की आत्माओं को स्वर्ग में भेजने का कारण उनका निरापद और निष्कलंक जीवन है.
तो अगली बार जब कोई बच्चा इस दुनिया से चला जाए, तो हमें यह समझने की जरूरत है कि उसकी आत्मा स्वर्ग में जाती है, जहां उसे शांति और सुख मिलता है. गरुड़ पुराण के अनुसार, बच्चों की मासूमियत और भगवान का आशीर्वाद हमेशा उनके साथ होता है और यही कारण है कि उन्हें नरक की यातना से बचाया जाता है. First Updated : Monday, 11 November 2024