चूहों की इस आवाज ने साइंटिस्ट के भी उड़ा दिए होश, 80 साल से नहीं खुल पाया राज

वैज्ञानिकों ने कुतरने वाले जानवरों को अल्ट्रासोनिक आवाजें निकालते देखा था. ऐसा माना जा रहा था कि ये चूहे जानकारी शेयर करने के लिए या किसी को बुलाने के लिए इन आवाजों का प्रयोग किया जाता है. लेकिन 80 साल बाद अब नई स्टडी में इन आवाजों के पीछे एक अलग और चौंकाने वाली वजह सामने आई है.

Simran Sachdeva
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Rats new study: साल 1950 में वैज्ञानिकों ने पहली बार देखा कि कुतरने वाले जानवर अल्ट्रासोनिक आवाजें निकालते हैं. लंबे समय तक यह माना गया कि वे ऐसा सामाजिक जानकारी साझा करने, साथी को आकर्षित करने, या उन्हें बुलाने के लिए करते हैं. लेकिन एक नई स्टडी ने इन आवाजों के पीछे एक अलग और चौंकाने वाली वजह को उजागर किया है.

नई स्टडी: आवाज का मकसद 

यूनिवर्सिटी ऑफ बफेलो कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज के प्रोफेसर डॉ. एडुआर्डो मर्काडो III ने कुतरने वाले जानवरों की अल्ट्रासोनिक आवाज पर एक नई परिकल्पना पेश की है. "यह घटना पहले किसी भी जानवर में नहीं देखी गई है," डॉ. मर्काडो ने कहा. उनके अध्ययन के मुताबिक, ये आवाजें साथी को बुलाने के लिए नहीं, बल्कि आसपास के पर्यावरण में हेरफेर करने और सूचना के नए रास्ते बनाने के लिए होती हैं. 

पर्यावरण में हेरफेर और आवाज का उपयोग

डॉ. मर्काडो का दावा है कि चूहे अपनी आवाज के माध्यम से पर्यावरण में मौजूद कणों की आपसी क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं. यह प्रक्रिया ना केवल सूचना साझा करने के नए तरीके खोलती है, बल्कि इसका उपयोग चिकित्सा और तकनीकी क्षेत्रों में भी किया जा सकता है. "यह कुतरने वाले जीवों की काबिलियत को समझने का एक नया नजरिया है," उन्होंने कहा. 

डॉ. मर्काडो को इस परिकल्पना की प्रेरणा हंपबैक व्हेल के गीतों के अध्ययन से मिली. जब वे अल्ट्रासोनिक वोकलाइज़ेशन (USV) पर एक बैठक में भाग ले रहे थे, तो उन्होंने महसूस किया कि चूहों के व्यवहार में कुछ असामान्य है, जो प्रचलित धारणाओं से मेल नहीं खा रहा था.

चूहों का व्यवहार

चूहे अपनी मूंछों, सूंघने, और स्कैनिंग के जरिए पर्यावरण का पता लगाते हैं. डॉ. मर्काडो ने पाया कि चूहे हर बार अल्ट्रासोनिक आवाज निकालने के तुरंत बाद हवा को सूंघते हैं. यह सवाल उठता है कि क्या सूंघने और आवाज निकालने की क्रियाएं आपस में जुड़ी हो सकती हैं.

अल्ट्रासोनिक ध्वनियों का इस्तेमाल: वाइब्रोएकॉस्टिक्स की भूमिका

वाइब्रोएकॉस्टिक्स एक तकनीक है जिसमें अल्ट्रासोनिक कंपन के जरिए कणों में बदलाव किया जाता है. डॉ. मर्काडो का मानना है कि चूहे अल्ट्रासोनिक आवाज के जरिए हवा में खास गंध या रसायन उत्पन्न कर सकते हैं. इससे वे हवा में मौजूद फेरोमोन और अन्य रसायनों का आसानी से पता लगा सकते हैं.

सामाजिक पहचान में मदद

चूहों की यह क्षमता उन्हें दोस्तों, अजनबियों और प्रतिस्पर्धियों के बीच अंतर करने में मदद करती है. इस खोज से यह भी संकेत मिलता है कि ध्वनि का उपयोग सामाजिक क्षेत्रों में पहचान और संचार के लिए नई संभावनाएं पैदा कर सकता है.
 

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23 November 2024, 05:44 PM IST

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