जासूसी की दुनिया का बेताज बादशाह, जिसने बदली इजरायल की तकदीर.. आखिर सीरिया से वापस क्यों मांगी जा रही है डेड बॉडी
Israel spy: एली कोहेन, इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के बेमिसाल जासूस, ने 1960 के दशक में सीरिया की सत्ता में गहरी पैठ बनाई और महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी के जरिये इजरायल को 1967 के अरब युद्ध में महज 6 दिनों में जीत दिलाई. 1965 में फांसी के बाद सीरियाई सरकार ने उनके शव को गुप्त रखा, जिसे वापस लाने के लिए इजरायल अब भी संघर्ष कर रहा है. उनकी साहसी और प्रेरणादायक जासूसी यात्रा आज भी चर्चित है.
Israel spy: एली कोहेन का नाम जासूसी की दुनिया में बेमिसाल है. इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के इस महानायक ने अपनी बुद्धिमानी और साहस से दुश्मन की सत्ता को चकनाचूर कर दिया. मात्र 41 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाले कोहेन ने 1960 के दशक में सीरिया की सत्ता के गलियारों में ऐसी पकड़ बनाई कि उनके बिना कोई बड़ा फैसला नहीं होता था. उनकी मौत के 59 साल बाद भी इजरायल उनके शव को वापस लाने के लिए संघर्षरत है.
कोहेन की खुफिया जानकारी ने इजरायल को 1967 के अरब युद्ध में महज 6 दिनों में जीत दिलाई. 1965 में उनकी फांसी के बाद सीरियाई सरकार ने उनके शव को गुप्त रखा. आज भी इजरायल और सीरिया के बीच इस मुद्दे पर तनाव बना हुआ है. आइए जानते हैं एली कोहेन की प्रेरणादायक और रोमांचक जासूसी यात्रा.
कैसे बना एली कोहेन इजरायल का हीरो?
एली कोहेन का जन्म 1924 में मिस्र के अलेक्जेंड्रिया में हुआ था. यहूदी परिवार में जन्मे कोहेन का परिवार 1948 में इजरायल की स्थापना के बाद वहां बस गया. 1957 में कोहेन ने खुद को इजरायल में स्थापित किया और अपने देशभक्ति के जज्बे से मोसाद में जगह बनाई. अपनी भाषाओं की दक्षता—अरबी, स्पेनिश और फ्रेंच—के कारण उन्होंने जल्दी ही एजेंसी में महत्वपूर्ण भूमिका हासिल की.
सीरिया में कैसे बना व्यवसायी से जासूस?
1962 में एली कोहेन ने सीरिया में "कामेल अमीन थाबेट" नामक व्यवसायी का रूप धारण किया. तीन साल के भीतर वह सीरिया के सबसे प्रभावशाली नेताओं के बीच शामिल हो गए. उनकी बातों को सीरियाई हुकूमत में आदेश के समान माना जाने लगा. उन्होंने सत्ता के उच्च स्तर तक पहुंचकर इजरायल को महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी दी, जो 1967 के अरब युद्ध में निर्णायक साबित हुई.
फांसी के बाद भी कायम है कोहेन का प्रभाव
1965 में सीरियाई सरकार ने कोहेन को जासूसी के आरोप में फांसी दे दी. उन्हें सार्वजनिक चौराहे पर फांसी दी गई ताकि बाकी जासूसों को चेतावनी दी जा सके. उनकी मौत के बाद भी उनका शव आज तक सीरिया में ही गुप्त रखा गया है. सीरिया ने यह स्वीकारा है कि इजरायल को गुमराह करने के लिए कोहेन के शव के स्थान कई बार बदले गए हैं.
इजरायल की शव वापसी की कोशिशें
दशकों से इजरायल कोहेन के शव को वापस लाने का प्रयास कर रहा है. हर बार सीरिया ने इस मांग को खारिज कर दिया है. इजरायल के अधिकारी अब फिर से इस मामले को प्राथमिकता दे रहे हैं ताकि कोहेन को उनकी धरती पर अंतिम विदाई दी जा सके.
जासूसी की दुनिया का नायक
एली कोहेन की जासूसी की कहानियां आज भी प्रेरणा देती हैं. उनकी कुर्बानी ने न केवल इजरायल को एक नई पहचान दी बल्कि खुफिया दुनिया में उनका नाम अमर कर दिया.