Tiger Johnny: पार्टनर की तलाश में महाराष्ट्र से हैदराबाद पहुंचा बाघ, 300 किलोमीटर का किया सफर
Tiger Johnny: चाहें इंसान हो चाहें जानवर पार्टनर की तलाश तो सभी को रहती है. जॉनी नाम के एक बाघ की अपने साथी के लिए तलाश की घटना इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय है. मिली जानकारी के मुताबिक पार्टनर की तलाश में जॉनी का सफर अक्तूबर के तीसरे हफ्ते से महाराष्ट्र से शुरू हुआ था, जिसके बाद अब वो लगभग 300 किलोमीटर से भी ज्यादा की दूरी तय कर तेलंगाना पहुंच चुका है.
Tiger Johnny: महाराष्ट्र के टिपेश्वर वन्यजीव अभयारण्य से तेलंगाना तक 300 किलोमीटर का सफर करने वाला जॉनी नामक नर बाघ इन दिनों चर्चा में है. साथी की तलाश में निकले इस बाघ की यात्रा रेडियो कॉलर के माध्यम से ट्रैक की गई. उसने जंगल, कृषि क्षेत्र और यहां तक कि राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पार करते हुए हैदराबाद से करीब तेलंगाना के तिरयानी क्षेत्र तक का सफर तय किया है.
वन अधिकारियों के अनुसार, यह प्रवृत्ति नर बाघों के स्वाभाविक व्यवहार का हिस्सा है, जो सर्दियों के दौरान अपने संभोग के मौसम में साथी की खोज करते हैं. जॉनी का यह सफर वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरण संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.
अक्टूबर में शुरू हुआ सफर
जॉनी ने अपनी यात्रा अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के किनवट तालुका से शुरू की. आदिलाबाद के बोथ मंडल के जंगलों में उसकी उपस्थिति पहली बार दर्ज की गई. वहां से वह निर्मल जिले के कुंतला, सारंगपुर, ममदा और पेम्बी मंडल जैसे क्षेत्रों से गुजरता हुआ तेलंगाना पहुंचा.
पार्टनर की तलाश में बाघ
आदिलाबाद जिला वन अधिकारी प्रशांत बाजीराव पाटिल के अनुसार, नर बाघ अपने क्षेत्र में साथी न मिलने पर लंबी यात्राएं करते हैं. यह उनकी स्वाभाविक प्रवृत्ति है, जो उनके संभोग के मौसम से प्रेरित होती है. नर बाघ मादा बाघ द्वारा छोड़ी गई गंध को 100 किलोमीटर दूर से पहचान सकते हैं.
सफर के दौरान शिकार
जॉनी की यह यात्रा केवल साथी की तलाश तक सीमित नहीं रही. उसने इस दौरान तीन मौकों पर पांच मवेशियों का शिकार किया और कुछ अन्य मवेशियों को घायल करने का भी प्रयास किया. हालांकि, वन अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह बाघ इंसानों के लिए कोई सीधा खतरा नहीं है.
कवाल टाइगर रिजर्व की ओर बढ़ने की संभावना
वन्यजीव अधिकारियों के अनुसार, जॉनी की वर्तमान यात्रा उसे कवाल टाइगर रिजर्व (केटीआर) की ओर ले जा सकती है. केटीआर लंबे समय से स्थायी बाघों की संख्या बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है. मुख्य वन्यजीव वार्डन एलुसिंग मेरु ने कहा कि अगर जॉनी यहां बसता है, तो यह रिजर्व और क्षेत्र दोनों के लिए एक बड़ा कदम होगा. हालांकि, उन्होंने शिकार और आवास क्षरण जैसी चुनौतियों पर भी जोर दिया.
स्थानीय निवासियों के लिए चेतावनी
वन विभाग ने स्थानीय निवासियों से अपील की है कि वे बाघ के साथ किसी प्रकार का टकराव न करें और दहशत से बचें. उन्होंने आश्वासन दिया कि जॉनी का यह सफर मानव जीवन के लिए खतरा नहीं है, लेकिन इसके साथ सतर्कता बरतने की आवश्यकता है.