शाही ठाठ में दरार! जब करोड़ों का भारतीय हीरा बना वंश का 'विवाद', फिर...
कतर के शाही परिवार में 70 कैरेट के 'Idols Eye' हीरे को लेकर पारिवारिक विवाद अदालत तक पहुंच गया है. ये हीरा शेख हमद की कंपनी QIPCO के पास है, लेकिन परिवार के अन्य सदस्य इसके बेचने का विरोध कर रहे हैं. लंदन हाई कोर्ट में चल रही कानूनी लड़ाई तय करेगी कि इस ऐतिहासिक हीरे का असली मालिक कौन है.

अमीरों के जीवन को अक्सर लोग शांत और विवादों से परे मानते हैं, लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग होती है. जब बात अरबों की संपत्ति की हो, तो आपसी विवाद काफी गहरा जाता हैं. कतर के शाही खानदान में भी एक ऐसा ही विवाद इन दिनों सुर्खियों में है, जहां करोड़ों की कीमत वाले दुर्लभ हीरे को लेकर पारिवारिक कलह अब अदालत की चौखट तक पहुंच गई है.
ये मामला कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी के चचेरे भाई शेख हमद बिन अब्दुल्ला अल थानी और उनके परिजनों के बीच का है. विवाद का केंद्र है- 'Idols Eye' नाम का 70 कैरेट का बेशकीमती हीरा, जिसकी उत्पत्ति 1600 के आसपास दक्षिण भारत की गोलकुंडा खदान से हुई थी.
हीरे की चमक के पीछे अदालत की तकरार
शेख हमद बिन अब्दुल्ला अल थानी, जो खुद एक मशहूर कला संग्रहकर्ता हैं, उनके पास कई अनमोल और दुर्लभ कलाकृतियां हैं. उन्हीं में से एक है ये हीरा, जो फिलहाल उनकी कंपनी QIPCO के पास है. ये हीरा मूल रूप से शेख सऊद के पास था, जिन्होंने इसे 2000 के दशक की शुरुआत में खरीदा था. बाद में शेख सऊद ने इसे शेख हमद को उधार दिया था. उस समय एक समझौता हुआ था, जिसमें ये शर्त रखी गई थी कि शेख सऊद का परिवार चाहे तो इस हीरे को QIPCO से वापस खरीद सकता है.
2020 में कोरोना काल बना विवाद की जड़
विवाद की शुरुआत तब हुई जब 2020 में कोविड महामारी के दौरान QIPCO की ओर से इस हीरे को बेचने की पहल की गई. इस फैसले का परिवार के अन्य सदस्यों ने विरोध किया और कहा कि समझौते की शर्तों के तहत शेख हमद को हीरा बेचने का वैध अधिकार नहीं है. QIPCO की ओर से दावा किया गया कि परिवार के अन्य सदस्य इस बिक्री के कानूनी रूप से विरोध के अधिकारी नहीं हैं, जबकि दूसरी ओर विरोध करने वाले पक्ष का कहना है कि इस दुर्लभ धरोहर को बेचना न सिर्फ समझौते का उल्लंघन है, बल्कि पारिवारिक विश्वास का भी अपमान है.
Idols Eye हीरे का इतिहास भी उतना ही रोचक है जितना इसका वर्तमान विवाद. इसे 1600 के आसपास गोलकुंडा की खदान से निकाला गया था और तब से ये दुनिया के सबसे मशहूर हीरों में गिना जाता है. इसकी दुर्लभता, चमक और ऐतिहासिक विरासत के चलते इसका मूल्य असाधारण है और यहीं वजह है कि ये अब कानूनी लड़ाई का कारण बन चुका है. फिलहाल ये मामला लंदन हाई कोर्ट में चल रहा है और कानूनी प्रक्रिया के तहत ये तय होगा कि इस हीरे का असली मालिक कौन है और क्या QIPCO को इसे बेचने का अधिकार है या नहीं.