जब खुद की मां नहीं रहीं तो गर्भवती महिलाओं और गायों को मरवा डाला.. सनकी राजा की खौफनाक दास्तां
शाका जुलू ने असाधारण सैन्य रणनीतियों से जुलू साम्राज्य खड़ा किया, लेकिन मां की मौत के बाद उसकी सनक ने उसे निर्दोषों का हत्यारा बना दिया. वीरता और क्रूरता का ये अद्भुत संगम इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा.

इतिहास में कई ऐसे शासक रहे हैं जिनकी सनक ने मानवता की सीमाएं लांघ दी. ऐसे ही शासकों में एक नाम है शाका जुलू का, जो दक्षिण अफ्रीका के जुलू साम्राज्य का संस्थापक था. अपनी असाधारण सैन्य प्रतिभा से उसने एक मामूली कबीले को शक्तिशाली साम्राज्य में बदल दिया, लेकिन मां की मृत्यु ने उसे ऐसा मानसिक आघात पहुंचाया कि उसने निर्दोष लोगों का कत्लेआम करवा डाला.
शाका जुलू का जीवन वीरता और क्रूरता का अजीब संगम रहा. 1816 से 1828 तक उसने जुलू साम्राज्य पर राज किया, लेकिन उसकी मां नंदी की मृत्यु ने उसकी सोच और शासन दोनों को पूरी तरह बदल दिया.
कौन था शाका जुलू?
शाका का जन्म 1787 में हुआ था. वो जुलू राजा सेनजांगाखोना काजामा का पुत्र था, लेकिन नाजायज़ माने जाने के कारण उसे अपने बचपन में तिरस्कार का सामना करना पड़ा. उसका पालन-पोषण उसकी मां नंदी के साथ दूसरी बस्तियों में हुआ, जहां उसने लड़ाकू प्रशिक्षण लिया और योद्धा बनने की राह पकड़ी.
सामान्य योद्धा से साम्राज्य का निर्माता कैसे बना?
शाका ने मथेथ्वा कबीले में रहते हुए जोबे और डिंगिसवेओ जैसे शक्तिशाली सरदारों के अधीन सेवा की. युद्ध कौशल में माहिर होते हुए वो एक रेजीमेंट का प्रभारी बना और 1816 में जुलू साम्राज्य की कमान संभाली. उस समय कबीले में सिर्फ 1500 लोग थे, लेकिन शाका की रणनीतियों ने उसे एक बड़ी शक्ति में बदल दिया. 1823 तक उसका साम्राज्य आज के नटल (KwaZulu-Natal) जितना विस्तृत हो चुका था.
मां की मौत के बाद पागलपन की हदें पार
1827 में मां नंदी की मृत्यु ने शाका की मानसिक स्थिति को गहरा झटका दिया. वो शोक में इतना डूब गया कि उसने एक साल तक फसल बोने और दूध पीने पर प्रतिबंध लगा दिया. उसने अपने सैनिकों को लगातार युद्ध में झोंके रखा. जो भी औरतें गर्भवती थी, उन्हें और उनके पतियों को मरवा दिया गया. यहां तक कि गर्भवती गायों को भी नहीं छोड़ा गया. उसका मानना था कि जो मैंने अपनी मां के चले जाने पर महसूस किया, वही सबको महसूस होना चाहिए.
शाका की सनक बनी उसके अंत का कारण
शाका के अत्याचारों से तंग आ चुके छोटे जुलू सरदारों और उसके सौतेले भाइयों ने मिलकर 22 सितंबर 1828 को उसकी हत्या कर दी. इसके बाद उसका भाई डिंगाने सत्ता पर काबिज हो गया. शाका जुलू का जीवन इतिहास के दो कटु पहलुओं को दर्शाता है- असाधारण नेतृत्व और चरम सनक. जहां एक ओर वो साम्राज्य विस्तार का नायक था, वहीं दूसरी ओर उसकी मां की मृत्यु के बाद वो एक निर्दयी और आत्मघाती शासक बन गया.


