मृत्यु हर किसी के जीवन का बड़ा सच है चाहे वह इंसान हो या फिर जानवर जिसने एक बार दुनिया में जन्म ले लिया उसकी मृत्यु होनी निश्चित है. लेकिन फिर भी लोग लंबी उम्र का व्रत रखते हैं. हिंदू धर्म में यदि किसी भी मनुष्य की मृत्यु होती है तो उसे 24 होने से पहले ही जला दिया जाता है. आखिर ऐसा क्यों होता है?
यह तो सब जानते ही है कि जो व्यक्ति इस दुनिया में आता है तो वह व्यक्ति इस दुनिया को छोड़कर कभी भी जा सकता है. यह नियम सिर्फ इंसानों पर लागू नहीं है यह नियम हर पशु, हर पक्षी, हर जीव-जंतु, और जानवरों में लागू होता है. हिंदू धर्म में अधिकतर देखा गया है कि मृत शरीर को 24 घंटे होने से पहले ही जला दिया जाता है.
ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि एक शरीर के भीतर रहने वाली आत्मा उसे छोड़ने के बाद कहीं भटकती न रहे इसीलिए शव के लिए एक स्थान का बंदोबस्त किया गया था. इसके साथ ही शव को जो चीजें पसंद थी. उन सभी चीजों को शव के साथ जला दिया जाता था और ऐसा करना परिवार के लोगों के लिए भी गरुड़ पुराण में फायदेमंद माना गया है.
जब किसी भी पुरुष या महिला की मृत्यु हो जाती है तो मौत के कारणों का पता लगाने के लिए शव का पोस्टमार्टम किया जाता है लेकिन शव को पोस्टामार्टम तभी किया जा सकता है जब परिवार वाले इसके लिए अनुमति दें. पोस्टमार्टम एक सर्जिकल प्रोसेस होती है जिसमें शव को चीरकर उसकी अंदरूनी जांच की जाती है. पोस्टमार्टम को ऑटोप्सी के नाम से भी जाना जाता है.
गरुड़ पुराण में कहा जाता है शव को अकेला छोड़ने से आस-पास भटकने वाली बुरी आत्माएं मृतक के शरीर में प्रवेश कर सकती हैं. इससे न सिर्फ मृतक के शरीर को खतरा हो सकता है बल्कि परिवार वालों भी इसका खतरा रहता है. शव को यदि अकेला छोड़ दिया जाए तो आस-पास रेंगने वाले नरभंक्षी प्राणी लाल चींटियां या पशु शव को नुकसान पहुंचा सकते हैं. First Updated : Saturday, 01 July 2023