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हर अजूबे के पीछे एक रहस्य! जानिए क्यों बने दुनिया के 7 अजूबे?

दुनिया के सात अजूबे केवल देखने लायक ही नहीं, बल्कि उनके पीछे गहरी सोच और ऐतिहासिक उद्देश्य भी छिपे हैं. हर अजूबा अपने समय की सभ्यता, विज्ञान और भावनाओं का प्रतीक है. आइए जानें क्यों बनाए गए ये अजूबे और क्या है इनके पीछे की दिलचस्प वजहें.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

7 wonders of the world: दुनिया के सात अजूबों के नाम आपने कई बार सुने होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये बने क्यों थे? इन अद्भुत रचनाओं के पीछे सिर्फ वास्तुकला या सुंदरता ही नहीं, बल्कि गहरी सोच, ऐतिहासिक घटनाएं और समाजिक बदलाव छिपे हैं. इन अजूबों ने न सिर्फ अपनी-अपनी सभ्यताओं की पहचान बनाई, बल्कि समय के साथ पूरी दुनिया को हैरान किया.

इन अजूबों में शामिल हैं चीन की दीवार, चिचेन इत्ज़ा, पेट्रा, माचू पिचू, क्राइस्ट द रिडीमर, कोलेसियम और भारत का गौरव ताजमहल. आइए जानते हैं कि आखिर इन अजूबों के निर्माण के पीछे का असली मकसद क्या था और इनमें क्या है ऐसा खास, जो इन्हें 'अजूबा' बनाता है.

चीन की दीवार: रक्षात्मक किलेबंदी का अद्भुत नमूना

चीन की दीवार को दुनिया की सबसे लंबी निर्माण परियोजनाओं में गिना जाता है. इसकी लंबाई लगभग 8,850 किलोमीटर है, जबकि चीन के अनुसार यह करीब 21,200 किलोमीटर लंबी है. इसका निर्माण मुख्यतः उत्तरी सीमा को बाहरी आक्रमणों से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से किया गया था. यह दीवार सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण थी और चीन की सुरक्षा व्यवस्था की रीढ़ मानी जाती थी.

चिचेन इत्जा: मयान सभ्यता की रहस्यमयी विरासत

मैक्सिको में स्थित चिचेन इत्ज़ा एक प्राचीन मयान शहर है, जो विशेष रूप से अपने भव्य पिरामिड के लिए प्रसिद्ध है. इसे मयान जनजाति ने 9वीं और 10वीं शताब्दी में एक सत्ता केंद्र के रूप में विकसित किया था. इसकी स्थापत्य शैली और खगोलीय गणनाओं पर आधारित डिजाइन आज भी आधुनिक विज्ञान को चकित कर देता है.

पेट्रा: पत्थरों में बसी एक समृद्ध सभ्यता

जॉर्डन के रेगिस्तान में स्थित पेट्रा शहर, अपने समय की जल प्रबंधन प्रणाली और व्यापारिक महत्ता के लिए जाना जाता था. यह शहर खासतौर पर मसालों के व्यापार का प्रमुख केंद्र था. यहां की इमारतें पत्थरों को काटकर बनाई गई थीं, जिन पर खूबसूरत नक्काशी की गई थी. इन इमारतों के रंग सूरज की रोशनी के अनुसार बदलते हैं, जो इसे और भी अद्भुत बनाता है.

माचू पिचू: बादलों के बीच बसा एक शाही रहस्य

पेरू में समुद्र तल से 2,430 मीटर की ऊंचाई पर स्थित माचू पिचू एक ऐतिहासिक स्थल है, जिसे 1911 में हायरम बिंघम ने खोजा था. इसका निर्माण 15वीं शताब्दी के मध्य में इंका शासक पचकुती युपांकी ने एक शाही परिसर के रूप में करवाया था. यह जगह अपनी अद्वितीय वास्तुकला और इंजीनियरिंग कौशल के लिए प्रसिद्ध है.

क्राइस्ट द रिडीमर: आस्था की प्रतीकात्मक मूर्ति

ब्राजील के रियो डी जनेरियो में स्थित क्राइस्ट द रिडीमर ईसा मसीह की विशाल प्रतिमा है, जो कोर्कोवाडो पर्वत की चोटी पर स्थापित है. इस प्रतिमा को 1922 में तब बनाना शुरू किया गया जब ब्राजील में नास्तिकता तेजी से बढ़ रही थी. इस मूर्ति को फ्रांसीसी मूर्तिकार द्वारा तैयार किया गया था और यह पूरे शहर से दिखाई देती है.

कोलेसियम: रोम की सत्ता और मनोरंजन का प्रतीक

रोम का कोलेसियम पहली शताब्दी में सम्राट वेस्पासियन के आदेश पर बनवाया गया था. इसका निर्माण रोमवासियों के मनोरंजन और साम्राज्य की शक्ति प्रदर्शन के लिए किया गया था. यह अद्वितीय रोमन स्थापत्य कला का प्रतीक है, जहां कभी भव्य खेल और युद्धाभ्यास आयोजित किए जाते थे.

ताजमहल: प्रेम की सबसे सुंदर अभिव्यक्ति

भारत का गौरव ताजमहल सफेद संगमरमर से बनी एक भव्य इमारत है, जिसे मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनवाया था. इसका निर्माण 1632 में शुरू हुआ था और इसे पूरा करने में 22 साल और 20,000 मजदूर लगे थे. ताजमहल दुनिया भर में अपने नक्काशीदार डिज़ाइन, संतुलित संरचना और सुंदरता के लिए जाना जाता है.

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19 April 2025, 01:58 PM IST

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