प्राचीन काल में शासक के पास एक राजदंड हुआ करता था जिसे शासक के हाथ में देश की सत्ता होने का प्रतीक माना जाता था. इसे ही सेंगोल कहते हैं.

नई संसद में लगने वाले ऐतिहासिक प्रतीक सेंगोल के बारे में आप कितना जानते हैं


Saurabh Dwivedi
2023/05/26 16:59:15 IST
यह सेंगोल क्यों है इतना खास

यह सेंगोल क्यों है इतना खास

    ये वही प्रतीक है जिसे सन् 1947 में सत्ता हस्तांतरण के समय अंग्रेज सरकार ने नेहरू को दिया था. इसे भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक भी माना जाता है.

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कब हुई इसकी उत्पत्ति

कब हुई इसकी उत्पत्ति

    इसकी उत्पत्ति चोल वंश से मानी जाती है जो की दुनिया के सबसे अधिक चलने वाले राजवंशों में एक है.

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कैसी है इसकी बनावट

कैसी है इसकी बनावट

    सेंगोल 5 फीट लंबी स्वर्ण और चांदी से निर्मित छड़ी है जिसके ऊपरी हिस्से में शिव के वाहन नन्दी विराजमान हैं जो की न्याय के प्रतीक माने जाते हैं.

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इसे लगाने की जरूरत क्यों पड़ी

इसे लगाने की जरूरत क्यों पड़ी

    आज़ादी के बाद लोग इस सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक को धीरे-धीरे भूल रहे थे इसलिए सरकार ने स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद इसे नई संसद में लगवाने का निरणय लिया है.

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किसने बनाया था इसे

किसने बनाया था इसे

    इस ऐतिहासिक प्रतीक को बनाने में वुम्मीदी एथिराजुलु ने प्रमुख भूमिका निभाई थी. इस प्रतीक को नई संसद में लगाए जाने को लेकर उनके पुत्र उधय वुम्मीदी ने खुशी जाहिर की है.

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नई संसद में लगने वाले ऐतिहासिक प्रतीक सेंगोल के बारे में आप कितना जानते हैं

नई संसद में लगने वाले ऐतिहासिक प्रतीक सेंगोल के बारे में आप कितना जानते हैं

    प्राचीन काल में शासक के पास एक राजदंड हुआ करता था जिसे शासक के हाथ में देश की सत्ता होने का प्रतीक माना जाता था. इसे ही सेंगोल कहते हैं

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