रानी होकर भी राजा कही जाती थी ये राजकुमारी, पुरुष समाज को दिया मुंह तोड़ जवाब
मिस्त्र
जब कभी मिस्त्र के इतिहास की बात आती है तो दिमाग में एक ताकतवर पुरुष की छवि आती है. क्योंकि उस समय की व्यवस्था में पुरुषों का वर्चस्व होता था.
Credit: google मिस्त्र का फैरो
मिस्त्र में हमेशा एक पुरुष की राजा यानी फैरो बन सकता था, लेकिन व्यवस्था को महिलाओं ने कई बार चुनौती दी. जिसमें एक नाम हैत्शेप्सु का भी शामिल है.
Credit: google कौन थीं हैत्शेप्सु
हैत्शेप्सु मिस्त्र की पहली महिला फैरो बनी बल्कि उन्होंने बखूबी शासन भी किया. वह राजपरिवार में पैदा हुई थी.
Credit: google पहले मिस्त्र राजा की पुत्री
हैत्शेप्सु के पिता Thustmos प्रथम मिस्त्र के राजा थे. मिस्त्र में फैरों का बेटा ही फैरा बनता था. Thustmos द्वितीय की मौत के बाद Thustmos तृतीय Thustmos हैत्शेप्सु का सौतेला बेटा थी, छोटी उम्र के बाद भी वह राजा बना.
Credit: google हैत्शेप्सु थोड़ी परंपरा
हैत्शेप्सु को Thustmos तृतीय के वयस्क होने तक राज्य की जिम्मेदारी संभालने का मौका मिला. रानी ने 1473ई. पू. खुद को रानी हैत्शेप्सु घोषित कर दिया.
Credit: google पहली महिला फैरा
मिस्त्र में पहले कभी कोई महिला फैरा नहीं बनी थी. फिर उनके आलोचकों ने उनका कड़ा विरोध किया.
Credit: google इतिहास मिटाने की कोशिश
हैत्शेप्सु की मौत 1458 ई. पू. में हुई थी. हैत्शेप्सु के जाने के बाद Thustmos तृतीय ने अपनी सौतेली मां और मिस्त्र की महिला फैरी की मूर्तियां तुड़वा दी. उनका इतिहास पूरी तरह मिटाना चाहते थे.
Credit: google View More Web Stories